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मंगलवार, 25 मई 2021

हिंदी के सोरठे

 हिंदी के सोरठे

*
हिंदी की जय बोल,
हिंदी मोतीचूर, मुँह में लड्डू सी घुले
जो पहले था दूर, मन से मन खुश हो मिले
हिंदी कोयल कूक, कानों को लगती भली
जी में उठती हूक, शब्द-शब्द मिसरी डली
हिंदी बाँधे सेतु, मन से मन के बीच में
साधे सबका हेतु, स्नेह पौध को सींच के
मात्रिक-वर्णिक छंद, हिंदी की हैं खासियत
ज्योतित सूरज-चंद, बिसरा कर खो मान मत
अलंकार है शान, कविता की यह भूल मत
छंद हीन अज्ञान, चुभा पेअर में शूल मत
हिंदी रोटी-दाल, कभी न कोई ऊबता
ऐसा सूरज जान, जो न कभी भी डूबता
हिंदी निश-दिन बोल, खुश होगी भारत मही
नहीं स्वार्थ से तोल, कर केवल वह जो सही
***
२२-५-२०२०

सोमवार, 25 मई 2020

हिंदी के सोरठे

हिंदी के सोरठे
*
हिंदी की जय बोल,
हिंदी मोतीचूर, मुँह में लड्डू सी घुले
जो पहले था दूर, मन से मन खुश हो मिले

हिंदी कोयल कूक, कानों को लगती भली
जी में उठती हूक, शब्द-शब्द मिसरी डली

हिंदी बाँधे सेतु, मन से मन के बीच में 
साधे सबका हेतु, स्नेह पौध को सींच के

मात्रिक-वर्णिक छंद, हिंदी की हैं खासियत
ज्योतित सूरज-चंद, बिसरा कर खो मान मत

अलंकार है शान, कविता की यह भूल मत
छंद हीन अज्ञान, चुभा पेअर में शूल मत
हिंदी रोटी-दाल, कभी न कोई ऊबता
ऐसा सूरज जान, जो न कभी भी डूबता

हिंदी निश-दिन बोल, खुश होगी भारत मही
नहीं स्वार्थ से तोल, कर केवल वह जो सही
***
२२-५-२०२०