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शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

सखी छंद, गंग छंद


छंद बहर का मूल है: १०
*
छंद परिचय:
संरचना: SIS SSI SS / SISS SISS
सूत्र: रतगग।
आठ वार्णिक अनुष्टुप जातीय छंद।
चौदह मात्रिक मानव जातीय सखी छंद।
बहर: फ़ाइलातुं फ़ाइलातुं ।
*
आप बोलें या न बोलें
सत्य खोलें या न खोलें
*
फैसला है आपका ही
प्यार के हो लें, न हो लें
*
कीजिए भी काम थोड़ा
नौकरी पा के, न डोलें
*
दूर हो विद्वेष सारा
स्नेह थोड़ा आप घोलें
*
तोड़ दें बंदूक-फेंकें
नैं आँसू से भिगो लें
*
बंद हो रस्मे-हलाला
औरतें भी सांस ले लें
*
काट डाले वृक्ष लाखों
हाथ पौधा एक ले लें
***
२३.४.२०१७
***

छंद बहर का मूल है: ११
*
छंद परिचय:
संरचना: SIS SS
सूत्र: रगग।
पाँच वार्णिक सुप्रतिष्ठा जातीय छंद।
नौ मात्रिक आंक जातीय गंग छंद।
बहर: फ़ाइलातुं फ़े ।
*
भावनाएँ हैं
कामनाएँ हैं
*
आदमी है तो
वासनाएँ हैं
*
हों हरे वीरां
योजनाएँ हैं
*
त्याग की बेला
दाएँ-बाएँ हैं
*
आप ही पालीं
आपदाएँ हैं
*
आदमी जिंदा
वज्ह माएँ हैं
*
औरतें ही तो
वंदिताएँ हैं
***
२३.४.२०१७
***

मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

सखी / गंग छंद

ॐ 
छंद बहर का मूल है: १० 
*
छंद परिचय:
संरचना: SIS SSI SS / SISS SISS
सूत्र: रतगग।
आठ वार्णिक अनुष्टुप जातीय छंद।
चौदह मात्रिक मानव जातीय सखी छंद।
बहर: फ़ाइलातुं फ़ाइलातुं ।
*
आप बोलें या न बोलें
सत्य खोलें या न खोलें
*
फैसला है आपका ही
प्यार के हो लें, न हो लें
*
कीजिए भी काम थोड़ा
नौकरी पा के, न डोलें
*
दूर हो विद्वेष सारा
स्नेह थोड़ा आप घोलें
*
तोड़ दें बंदूक-फेंकें
नैं आँसू से भिगो लें
*
बंद हो रस्मे-हलाला
औरतें भी सांस ले लें
*
काट डाले वृक्ष लाखों
हाथ पौधा एक ले लें
***
२३.४.२०१७
***

छंद बहर का मूल है: ११
*
छंद परिचय:
संरचना: SIS SS
सूत्र: रगग।
पाँच वार्णिक सुप्रतिष्ठा जातीय छंद।
नौ मात्रिक आंक जातीय गंग छंद।
बहर: फ़ाइलातुं फ़े ।
*
भावनाएँ हैं
कामनाएँ हैं
*
आदमी है तो
वासनाएँ हैं
*
हों हरे वीरां
योजनाएँ हैं
*
त्याग की बेला
दाएँ-बाएँ हैं
*
आप ही पालीं
आपदाएँ हैं
*
आदमी जिंदा
वज्ह माएँ हैं
*
औरतें ही तो
वंदिताएँ हैं
***
२३.४.२०१७
***

रविवार, 23 अप्रैल 2017

chhand-bahar 10

ॐ 
छंद बहर का मूल है: १० 
*
छंद परिचय:
संरचना: SIS SSI SS / SISS SISS
सूत्र: रतगग।
आठ वार्णिक अनुष्टुप जातीय छंद।
चौदह मात्रिक मानव जातीय सखी छंद।
बहर: 
फ़ाइलातुं फ़ाइलातुं ।
*
आप बोलें या न बोलें
सत्य खोलें या न खोलें  

*
फैसला है आपका ही
प्यार के हो लें, न हो लें 


कीजिए भी काम थोड़ा 
नौकरी पा के, न डोलें
*
दूर हो विद्वेष सारा
स्नेह थोड़ा आप घोलें   

*
तोड़ दें बंदूक-फेंकें
नैं आँसू से भिगो लें 

*
बंद हो रस्मे-हलाला  
औरतें भी सांस ले लें 
*
काट डाले वृक्ष लाखों 
हाथ पौधा एक ले लें 
***
२३.४.२०१७
***

मंगलवार, 7 जून 2016

sakhi chhand

रसानंद दे छंद नर्मदा ३३ : सखी  छन्द 
गुरुवार, ७  जून 2016 


​दोहा, ​सोरठा, रोला, ​आल्हा, सार​,​ ताटंक, रूपमाला (मदन), चौपाई​, ​हरिगीतिका, उल्लाला​,गीतिका,​घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, छप्पय, भुजंगप्रयात, कुंडलिनी, सवैया, शोभन या सिंहिका, सुमित्र, सुगीतिका, शंकर, मनहरण (कवित्त/घनाक्षरी), उपेन्द्रवज्रा तथा इंद्रवज्रा छंदों से साक्षात के पश्चात् मिलिए​ सखी छन्द ​से

छन्द लक्षण -
सखी मानव जातीय चौदह मात्रिक छन्द है।  सखी छन्द के पंक्तयांत में लघु गुरु गुरु (१२२ यगण) या तीन गुरु (२२२ मगण) मात्राएँ होती हैं।  

लक्षण छंद -
चौदह सुमात्रा सखी है 
हो य-म तुकांती सदा ही। 
मानव न भूले हमेशा 
है वतन - भाषा पूजा ही।।  
संकेत- य-म = यगण या मगण 

उदाहरण- 
०१.  मुक्तिका 
*
आँख जब भी बोलती है 
राज दिल के खोलती है 
.
मन बनाता है बहाना 
जुबां गुपचुप तोलती है 
*
ख्वाब करवट ले रहे हैं 
संग कोशिश डोलती है 
*
कामना जनभावना हो 
श्वास में रस घोलती है 
*
वृत्ति आदिम सगा-साथी 
झुका आँख टटोलती है 
*
याचनामय दृष्टि, दाता 
पेंडुलम संग डोलती है 
*
२. राजनीति मायावी है 
    लोभ नीति ही प्यारी है 
    लोक नीति से दूरी है 
    देश भूल मक्कारी है 
***
    
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