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गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017

laghukatha

लघु कथा 
समय का फेर
गुरु जी शिष्य को पढ़ना-लिखना सिखाते परेशां हो गए तो खीझकर मारते हुए बोले- ' तेरी तकदीर में तालीम है ही नहीं तो क्या करुँ? तू मेरा और अपना दोनों का समय बरबाद कार रहा है. जा भाग जा, इतने समय में कुछ और सीखेगा तो कमा खायेगा.'
गुरु जी नाराज तो रोज ही होते थे लेकिन उस दिन चेले के मन को चोट लग गयी. उसने विद्यालय आना बंद कर दिया, सोचा: 'आज भगा रहे हैं. ठीक है भगा दीजिये, लेकिन मैं एक दिन फ़िर आऊंगा... जरूर आऊंगा.'
गुरु जी कुछ दिन दुखी रहे कि व्यर्थ ही नाराज हुए, न होते तो वह आता ही रहता और कुछ न कुछ सीखता भी. धीरे-धीरे गुरु जी वह घटना भूल गए.
कुछ साल बाद गुरूजी एक अवसर पर विद्यालय में पधारे अतिथि का स्वागत कर रहे थे. तभी अतिथि ने पूछा- 'आपने पहचाना मुझे?'
गुरु जी ने दिमाग पर जोर डाला तो चेहरा और घटना दोनों याद आ गयी किंतु कुछ न कहकर चुप ही रहे.
गुरु जी को चुप देखकर अतिथि ही बोला- 'आपने ठीक पहचाना. मैं वही हूँ. सच ही मेरे भाग्य में विद्या पाना नहीं है, आपने ठीक कहा था किंतु विद्या देनेवालों का भाग्य बनाना मेरे भाग्य में है यह आपने नहीं बताया था.'
गुरु जी अवाक् होकर देख रहे थे समय का फेर.
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salil.sanjiv@gmail.com, 9425183244 

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

Guru-shishya: sanjiv

शिक्षक दिवस पर एक कहावत:
गुरु गुड तो चेला शक्कर अर्थात गुरु ने की श्रेष्ठ उनसे भी बेहतर बना.
श्रेष्ठ शिक्षक वही जिसका छात्र भी श्रेष्ठ हो, शिक्षक दिवस पर नमन शिक्षक-छात्र की परंपरा को :
विश्वामित्र - राम, लक्ष्मण
संदीपनी - कृष्णा, सुदामा
बुद्ध - आनंद
सुकरात - प्लेटो - अरस्तु - सिकंदर
रामकृष्ण परमहंस - स्वामी विवेकानंद
द्रोणाचार्य - अर्जुन, एकलव्य, भीम, युधिष्ठिर
परशुराम - कर्ण
डॉ. होमी जहांगीर भाभा - डॉ - साराभाई - डॉ. अब्दुल कलाम
बलराम - दुर्योधन
रामानंद - कबीर - मीरां
चाणक्य - चन्द्रगुप्त
स्वामी ब्रम्हानंद सरस्वती - महर्षि महेश योगी, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
गुरु रामदास - छत्रपति शिवाजी
रमाकांत आचरेकर - सचिन तेंदुलकर
इस सूची में आप भी जोड़िए कुछ नाम.