दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शुक्रवार, 28 अगस्त 2009
क्या विचार हैं आपके ???????
हिन्दी में कवितायें खूब लिखी जा रही है ,जिन्हें काव्य के रचना शास्त्र का ज्ञान नही है वे भी निराला जी के रबड़ छंदो मे लिख कर स्वनाम धन्य कवि हैं ..अपनी पूंजी लगाकर पुस्तके भी छपवा कर ..विजिटिग कार्ड की तरह बांट रहे है ..जुगाड़ टेक्नालाजी के चलते सम्मानित भी हो रहे है ...पर नाटक नही लिखे जा रहे ...उपन्यास नही लिखे जा रहे .. आलोचना का कार्य विश्वविद्यालयो के परिसर तक सीमित हो गया है ..शोध प्रबंध ही हिन्दी का गंभीर लेखन बनता जा रहा है ... लघुकथा को , मुक्तक को गंभीर साहित्य नही माना जाता .. इस सब पर क्या विचार हैं आपके ???????..........vivek ranjan shrivastava , jabalpur
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सामाजिक लेखन हेतु ११ वें रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार से सम्मानित .
"रामभरोसे", "कौआ कान ले गया" व्यंग संग्रहों ," आक्रोश" काव्य संग्रह ,"हिंदोस्तां हमारा " , "जादू शिक्षा का " नाटकों के माध्यम से अपने भीतर के रचनाकार की विवश अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का दुस्साहस ..हम तो बोलेंगे ही कोई सुने न सुने .
यह लेखन वैचारिक अंतर्द्वंद है ,मेरे जैसे लेखकों का जो अपना श्रम, समय व धन लगाकर भी सच को "सच" कहने का साहस तो कर रहे हैं ..इस युग में .
लेखकीय शोषण , व पाठकहीनता की स्थितियां हम सबसे छिपी नहीं है , पर समय रचनाकारो के इस सारस्वत यज्ञ की आहुतियों का मूल्यांकन करेगा इसी आशा और विश्वास के साथ ..
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009
लघुकथा : बुद्धिजीवी --लतीफ़ घोंघी
मैंने एक मित्र से पूछा- 'सांप्रदायिक सद्भावना बढ़ाने में आपकी क्या भूमिका रहेगी?'वह बोले- 'क्या आप शाम को घर पर रहेंगे? मैं चाहता हूँ कि इस नाज़ुक विषय पर गंभीरतापूर्वक चर्चा करुँ।'
मैंने कहा - 'आपका स्वागत है, एक बुद्धिजीवी होने के नाते इस पर विचार करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। शाम को वे मेरे घर आए, अपनी कविताओं की डायरी निकालकर उन्होंने मुझे सांप्रदायिक सद्भाव कि कवितायें सुनायी और बोले- 'कैसी लगीं मेरी रचनाएं आपको? मैं चाहता हूँ कि आप इन कविताओं को संग्रह रूप में प्रकाशित करने में मेरी मदद करें। कहिये, मेरे संग्रह की कितनी प्रतियाँ आप बिकवायेंगे?'
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