कुल पेज दृश्य

amraaee लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
amraaee लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

गीत ; कुछ ऐसा हो साल नया --संजीव 'सलिल

नये साल का गीत

संजीव 'सलिल'
*
कुछ ऐसा हो साल नया,
जैसा अब तक नहीं हुआ.
अमराई में मैना संग
झूमे-गाये फाग सुआ...
*
बम्बुलिया की छेड़े तान.
रात-रातभर जाग किसान.
कोई खेत न उजड़ा हो-
सूना मिले न कोई मचान.

प्यासा खुसरो रहे नहीं
गैल-गैल में मिले कुआ...
*
पनघट पर पैंजनी बजे,
बीर दिखे, भौजाई लजे.
चौपालों पर झाँझ बजा-
दास कबीरा राम भजे.

तजें सियासत राम-रहीम
देख न देखें कोई खुआ...

स्वर्ग करे भू का गुणगान.
मनुज देव से अधिक महान.
रसनिधि पा रसलीन 'सलिल'
हो अपना यह हिंदुस्तान.
हर दिल हो रसखान रहे
हरेक हाथ में मालपुआ...
*****