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गुरुवार, 17 जनवरी 2013

हिंदी मुहावरा कौआ स्नान प्रणव भारती

हिंदी मुहावरा
कौआ  स्नान
प्रणव भारती

कउवा  नदी किनारे  गया !  सर्दी  के मौसम  में  पानी देख कर  बेचारा  'गरीब'  कंपकपा   गया  !



फिर  पानी में उतरा   !  कउवा  सोचने  लगा  कि  स्नान करूँ  या  न करूँ  ?


 


फिर उसने  पत्नी ने से  पूछा  - नहाना ज़रूरी है क्या ..? बिना नहाये  नहीं चलेगा   क्या ????


पत्नी  ने डाल पर से   गुस्से  में तरेर कर देखा  और  कहा - ' अच्छा  अभी तक सोच  ही रहे हो ........'



कौए  ने  कहा - हाँ ..हाँ  नहाता हूँ ....मैं तो  यूँ  ही  पूछ  रहा था ...वो  चला फिर  नदी  की ओर धीरे धीर, बेमन से ....


पानी के  कुछ  और नज़दीक पहुँचा और  लगा   घूरने   जान  के दुश्मन  पानी को .....

उसने  पत्नी की  आँख  बचा कर, जल्दी से  पानी में पैर  भिगो लिए   और फुर्र -फुर्र  करके छीटें उडाए ...हो   गया  'कउवा  स्नान ' !


एक बार  चोंच में पानी लेरकर गर्दन पे छिड़क लिया , देखो तो गर्दन  कैसी  झुंझलाई  फूली सी हो गई है.....बेचारा  कौआ !



अब तो  नहा के  उसकी शक्ल  ही  अजीब  सी   हो गई है.....बेचार, सूखने को  एक चट्टान पे जा बैठा है !



कव्वी  ने फिर भी  शक करते हुए पूछा - ठीक से नहाये भी कि नहीं ?

बेचारा  डरा  सा   और  कुछ  खीजा  सा  बोला -   अरे  भागवान,   नहा  तो लिया ........! 
इसे  कहते  है  'कउवा  स्नान' !
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सोमवार, 16 अप्रैल 2012

दोहा सलिला: दोहा कहे मुहावरे --संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
दोहा कहे मुहावरे
संजीव 'सलिल'
*
'अपने मुँह मिट्ठू बने', मियाँ हकीकत भूल.
खुद को कोमल कहे ज्यों, पैना शूल बबूल.१.
*
'रट्टू तोता' बन करें, देश-भक्ति का जाप.
लूट रहे हैं देश को, नेताजी कर पाप.२.
*
कभी न देखी महकती, 'सलिल' फूल की धूल.
किन्तु महक-खिलता मिला, हमें 'धूल का फूल'.३.
*
दिनकर ने दिन कर कहा, 'जो जागे सो पाय'.
'जो सोये सो खोय' हर, अवसर व्यर्थ गंवाय.४.
*
'जाको राखे साइयाँ', वाको मारे कौन?
नजर उतारें व्यर्थ मत, लेकर राई-नौन.५.
*
'अगर-मगर कर' कर रहे, पाया अवसर व्यर्थ.
'बना बतंगड़ बात का', 'करते अर्थ अनर्थ'.६.
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'चमड़ी जाए पर नहीं दमड़ी जाए' सोच.
जिसकी- उसकी सोच में, सचमुच है कुछ लोच.७.
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'कुछ से 'राम-रहीम कर', कुछ से 'कर जय राम'.
'राम-राम' दिल दे मिला, दूरी मिटे तमाम.८.
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सर कर सरल न कठिन तज, कर अनवरत प्रयास.
'तिल-तिल जल' दीपक हरे, तम दे सतत उजास.९.
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जब खाल से हो सामना, शिष्ट रहें नि:शब्द.
'बाल न बाँका कर सके', कह कोई अपशब्द.१०.
*
खल दे सब जग को खलिश, तपिश कष्ट संताप.
औरों का 'दिल दुखाकर',  करता है नित पाप.११.
*