कुल पेज दृश्य

kirti chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
kirti chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

kirti chhand

छंद सलिला :  
संजीव
*
कीर्ति छंद
छंद विधान:
द्विपदिक, चतुश्चरणिक, मात्रिक कीर्ति छंद इंद्रा वज्रा तथा उपेन्द्र वज्रा के संयोग से बनता है. इसका प्रथम चरण उपेन्द्र वज्रा (जगण तगण जगण दो गुरु / १२१-२२१-१२१-२२) तथा शेष तीन दूसरे, तीसरे और चौथे चरण इंद्रा वज्रा (तगण तगण जगण दो गुरु / २२१-२२१-१२१-२२) इस छंद में ४४ वर्ण तथा ७१ मात्राएँ होती हैं.
उदाहरण:
१. मिटा न क्यों दें मतभेद भाई, आओ! मिलाएं हम हाथ आओ
आओ, न जाओ, न उदास ही हो, भाई! दिलों में समभाव भी हो.
२. शराब पीना तज आज प्यारे!, होता नहीं है कुछ लाभ सोचो
माया मिटा नष्ट करे सुकाया, खोता सदा मान, सुनाम भी तो.
३. नसीहतों से दम नाक में है, पीछा छुड़ाएं हम आज कैसे?
कोई बताये कुछ तो तरीका, रोके न टोके परवाज़ ऐसे.
----------------------------------------

रविवार, 17 नवंबर 2013

chhand salila: kirti chhand -sanjiv

छंद सलिला :
संजीव
*
कीर्ति छंद
छंद विधान:

द्विपदिक, चतुश्चरणिक, मात्रिक कीर्ति छंद इंद्रा वज्रा तथा उपेन्द्र वज्रा के संयोग से बनता है. इसका प्रथम चरण उपेन्द्र वज्रा (जगण तगण जगण दो गुरु / १२१-२२१-१२१-२२) तथा शेष तीन दूसरे, तीसरे और चौथे चरण इंद्रा वज्रा (तगण तगण जगण दो गुरु / २२१-२२१-१२१-२२) इस छंद में ४४ वर्ण तथा ७१ मात्राएँ होती हैं.
उदाहरण:
१. मिटा न क्यों दें मतभेद भाई, आओ! मिलाएं हम हाथ आओ
   आओ, न जाओ, न उदास ही हो, भाई! दिलों में समभाव भी हो.

२. शराब पीना तज आज प्यारे!, होता नहीं है कुछ लाभ सोचो
   माया मिटा नष्ट करे सुकाया, खोता सदा मान, सुनाम भी तो.

३. नसीहतों से दम नाक में है, पीछा छुड़ाएं हम आज कैसे?
   कोई बताये कुछ तो तरीका, रोके न टोके परवाज़ ऐसे.

                        ----------------------------------------