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रविवार, 18 जनवरी 2015

aaiye kavita karen: 6 - sanjiv

कार्यशाला
आइये! कविता करें ६ :
संजीव
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मुक्तक
आभा सक्सेना 
कल दोपहर का खाना भी बहुत लाजबाब था,    = २६ 
अरहर की दाल साथ में भुना हुआ कबाब था।   = २६
मीठे में गाजर का हलुआ, मीठा रसगुल्ला था,  = २८ 
बनारसी पान था पर, गुलकन्द बेहिसाब था।।   = २६

लाजवाब = जिसका कोई जवाब न हो, अतुलनीय, अनुपम। अधिक या कम लाजवाब नहीं होता, भी'' से ज्ञात होता है कि इसके अतिरिक्त कुछ और भी स्वादिष्ट था जिसकी चर्चा नहीं हुई. इससे अपूर्णता का आभास होता है. 'भी' अनावश्यक शब्द है. 
तीसरी पंक्ति में 'मीठा' और 'मीठे' में पुनरावृत्ति दोष है. गाजर का हलुआ और रसगुल्ला मीठा ही होता है, अतः यहाँ मीठा लिखा जाना अनावश्यक है. 
पूरे मुक्तक में खाद्य पदार्थों की प्रशंसा है. किसी वस्तु का बेहिसाब अर्थात अनुपात में न होना दोष है, मुक्तककार का आशय दोष दिखाना प्रतीत नहीं होता। अतः, इस 'बेहिसाब' शब्द का प्रयोग अनुपयुक्त है. 

कल दोपहर का खाना सचमुच लाजवाब था   = २५  
दाल अरहर बाटी संग भर्ता-कवाब था           = २४ 
गाजर का हलुआ और रसगुल्ला सुस्वाद था- = २६ 
अधरों की शोभा पान बनारसी नवाब था        = २५