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बुधवार, 27 मार्च 2019

छंद मनोरम

छंद सलिला:मनोरम छंद
संजीव
*
लक्षण: समपाद मात्रिक छंद, जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, चरणारंभ गुरु, चरणांत गुरु लघु लघु या लघु गुरु गुरु होता है.

लक्षण छंद:
हैं भुवन चौदह मनोहर
आदि गुरुवत पकड़ लो मग
अंत भय से बच हमेशा

लक्ष्य वर लो बढ़ाओ पग
उदाहरण:
१. साया भी साथ न देता
जाया भी साथ न देता
माया जब मन भरमाती
काया कब साथ निभाती
२. सत्य तज मत 'सलिल' भागो
कर्म कर फल तुम न माँगो
प्राप्य तुमको खुद मिलेगा
धर्म सच्चा समझ जागो
३. लो चलो अब तो बचाओ
देश को दल बेच खाते
नीति खो नेता सभी मिल
रिश्वतें ले जोड़ते धन
४. सांसदों तज मोह-माया
संसदीय परंपरा को
आज बदलो, लोक जोड़ो-
तंत्र को जन हेतु मोड़ो
*********************************************
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)

शनिवार, 3 जून 2017

chhand bahar 16

छंद बहर का मूल है १६
अष्ट वार्णिक अनुष्टुप जातीय छंद
चौदह मात्रिक मानव जातीय मनोरम छंद
मुक्तिका
*
सूर्य ऊगा तो सवेरा ८/१४
सूर्य डूबा तो अँधेरा
.
प्रीत की जादूगरी है
नूर ऊषा ने बिखेरा
.
नींद तू भी जाग जा रे!
मुर्ग ने दे बाँग टेरा
.
भू न जाती सासरे को
सूर्य लेता संग फेरा
.
साँझ बाँधे रोज राखी
माँग तारे टाँक धीरा
.
है निशा बाँकी सहेली
बाँध-तोड़े मोह-घेरा
.
चाँदनी-चंदा लगाए
आसमां में प्रीत डेरा
***

शनिवार, 13 मई 2017

manav chhand

रसानंद दे छंद नर्मदा ८४:  
 


दोहा, ​सोरठा, रोला, ​आल्हा, सार​,​ ताटंक (चौबोला), रूपमाला (मदन), चौपाई​, ​हरिगीतिका, उल्लाला​, गीतिका, ​घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, छप्पय, भुजंगप्रयात, कुंडलिनी, सवैया, शोभन/सिंहिका, सुमित्र, सुगीतिका , शंकर, मनहरण (कवित्त/घनाक्षरी), उपेन्द्रव
ज्रा
, इंद्रव
​​
ज्रा, 
सखी
​, 
विधाता/शुद्धगा, 
वासव
​, 
अचल धृति
​,  
अचल
​, अनुगीत, अहीर, अरुण, 
अवतार, 
​​उपमान / दृढ़पद,  
एकावली,  
अमृतध्वनि, नित, आर्द्रा, ककुभ/कुकभ, कज्जल, कमंद, कामरूप, कामिनी मोहन (मदनावतार), 
काव्य, 
वार्णिक कीर्ति, 
कुंडल, गीता, गंग, 
चण्डिका, चंद्रायण, छवि (मधुभार), जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिग्पाल / दिक्पाल / मृदुगति, दीप, दीपकी, दोधक, निधि, निश्चल
प्लवंगम, प्रतिभा, प्रदोषप्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनाग, 
मधुमालती, मनमोहन, मनोरम  छंदों से साक्षात के पश्चात् मिलिए मानव छंद से   

Rose    मानव 
छंद
*
छंद-लक्षण: समपाद मात्रिक छंद, जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, चरणारंभ गुरु, चरणांत गुरु लघु लघु या लघु गुरु गुरु होता है.  
लक्षण छंद:
हैं भुवन चौदह मनोरम 
आदि गुरु हो तो मिले मग
हो हमेश अंत में अंत भय   

लक्ष्य वर लो बढ़ाओ पग
उदाहरण:
१. 
साया भी साथ न देता 
   जाया भी साथ न देता
   माया जब मन भरमाती
   
काया कब साथ निभाती 

२. सत्य तज मत 'सलिल' भागो
   कर्म कर फल तुम न माँगो
   प्राप्य तुमको खुद मिलेगा
   धर्म सच्चा समझ जागो

३. लो चलो अब तो बचाओ
   देश को दल बेच खाते
   नीति खो नेता सभी मिल
   रिश्वतें ले जोड़ते धन

४. सांसदों तज मोह-माया
   संसदीय परंपरा को 
   आज बदलो, लोक जोड़ो-
   तंत्र को जन हेतु मोड़ो
 ************************

गुरुवार, 27 मार्च 2014

chhand salila: manoram chhand -sanjiv

छंद सलिला:
मनोरम छंद
संजीव
*
लक्षण: समपाद मात्रिक छंद, जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, चरणारंभ गुरु, चरणांत गुरु लघु लघु या लघु गुरु गुरु होता है.  
लक्षण छंद:
हैं भुवन चौदह मनोरम 
आदि गुरु हो तो मिले मग
हो हमेश अंत में अंत भय  

लक्ष्य वर लो बढ़ाओ पग
उदाहरण:
१.
साया भी साथ न देता
   जाया भी साथ न देता
   माया जब मन भरमाती
  
काया कब साथ निभाती

२. सत्य तज मत 'सलिल' भागो
   कर्म कर फल तुम न माँगो
   प्राप्य तुमको खुद मिलेगा
   धर्म सच्चा समझ जागो

३. लो चलो अब तो बचाओ
   देश को दल बेच खाते
   नीति खो नेता सभी मिल
   रिश्वतें ले जोड़ते धन

४. सांसदों तज मोह-माया
   संसदीय परंपरा को 
   आज बदलो, लोक जोड़ो-
   तंत्र को जन हेतु मोड़ो
 *********************************************
 (अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)