कुल पेज दृश्य

drushya kavya लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
drushya kavya लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 3 अक्टूबर 2017

drushya kavya teer alankar

अभिनव प्रयोग 
दृश्य काव्य- 
तीर अलंकार 
*
मैं 
बच्चा,
बचपन
से दूर हूँ।
मत समझो
बेबस-मजबूर हूँ।
दुनिया बदल सकता
मेहनत से अपनी।
कहूँगा समय से
कल- देख ले!
मैं भी तो
मशहूर
हूँ।
*
** 
salil.sanjiv@gmail.com
२०४ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर 
http://divyanarmada.blogspot.com
#hindi_blogger