याद
संजीव 'सलिल'
कालू से लालू कहें, 'दोस्त! हुआ हैरान.
घरवाली धमका रही, रोज खा रही जान.
पीना-खाना छोड़ दो, वरना दूँगी छोड़.
जाऊंगी मैं मायके, रिश्ता तुमसे तोड़'
कालू बोला: 'यार! हो, किस्मतवाले खूब.
पिया करोगे याद में, भाभी जी की डूब..
बहुत भली हैं जा रहीं, कर तुमको आजाद.
मेरी जाए तो करूँ मैं भी उसको याद..'
सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
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