कुल पेज दृश्य

kundal chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
kundal chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

कुंडल छंद

ॐ 
छंद बहर का मूल है: ४ 
कुंडल छंद
*
छंद परिचय:
बाईस मात्रिक महारौद्र जातीय कुंडल छंद
चौदह वार्णिक शर्करी जातीय छंद।
संरचना: SIS ISI SIS ISI SS
सूत्र: रजरजगग।
बहर: फ़ाइलुं मुफ़ाइलुं मुफ़ाइलुं फ़ऊलुं।
*
प्रात, शाम, रात रोज आप ही सुहाए
मौन हेरता रहा न आज आप आए
*
छंद-गीत, राग-रीत कौन सीखता है?
शारदा कृपा करें तभी न सीख पाए
*
है कहाँ छिपा हुआ, न चाँद दीखता है
दीप बाल-बाल रात ही न हार जाए
*
दूर बैठ ताकती , न भू भुला सकी है
सूर्य रश्मि-रूप धार श्वास में समाए
*
आसमान छेदता, दिशा-हवा न रोके
कामदेव चित्त को अशांत क्यों बनाये?
*
प्रेमिका न ज्ञान-दान प्रेम चाहती है
रुठती न, रूठना दिखा-दिखा खिझाए
*
हारता न, हार-हार प्रेम जीतता है
जीतता न जीत-जीत, प्रेम ही हराए
*
१६.४.२०१७
***

रविवार, 16 अप्रैल 2017

chhand-bahar

ॐ 
छंद बहर का मूल है: ४ 
कुंडल छंद
*
छंद परिचय:
बाईस मात्रिक महारौद्र जातीय कुंडल छंद 

चौदह वार्णिक शर्करी जातीय छंद।
संरचना: SIS ISI SIS ISI SS
सूत्र: रजरजगग।
बहर: फ़ाइलुं मुफ़ाइलुं मुफ़ाइलुं फ़ऊलुं।
*
प्रात, शाम, रात रोज आप ही सुहाए 

मौन हेरता रहा न आज आप आए 
*
छंद-गीत, राग-रीत कौन सीखता है?
शारदा कृपा करें तभी न सीख पाए 
*
है कहाँ छिपा हुआ, न चाँद दीखता है 
दीप बाल-बाल रात ही न हार जाए 
*
दूर बैठ ताकती , न भू भुला सकी है 
सूर्य रश्मि-रूप धार श्वास में समाए 
*
आसमान छेदता, दिशा-हवा न रोके 
कामदेव चित्त को अशांत क्यों बनाये?
*
प्रेमिका न ज्ञान-दान प्रेम चाहती है 
रुठती न, रूठना दिखा-दिखा खिझाए 
*
हारता न, हार-हार प्रेम जीतता है 
जीतता न जीत-जीत, प्रेम ही हराए 
*
१६.४.२०१७
***

गुरुवार, 1 मई 2014

chhand salila: kundal chhand -sanjiv

​ॐ
छंद सलिला:

कुंडल छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति महारौद्र , प्रति पद मात्रा २२ मात्रा, यति १२ - १०, पदांत गुरु गुरु (यगण, मगण) ।

लक्षण छंद:
   कुंडल बाईस कला / बारह दस बाँटो

   चरण-अंत गुरु-गुरु हो / सरस शब्द छाँटो
   भाव बिम्ब रस लय का / कोष छंद प्यारा
   अलंकार सह प्रतीक / रखिए चुन न्यारा                                                                                                                        
उदाहरण:
१. करण कवच कुण्डल में / सूरज सम सोहें

    बारह घंटे दस शर / लक्ष्य बेध मोहे
    गुरु के गुरु परशुराम / शुभाशीष देते
    चरणों से उठा शिष्य / बाँहों भर लेते

२. शिव शंकर प्रलयंकर अभ्यंकर भोले 
     गंगाधर डमरूधर मणि-विषधर डोले
     डिम डिम डम निगमागम / मंत्र ऋचा व्यापे
     नाद ताल थाप अगम / दशकंधर काँपे 
     सुरसरिधर मस्तक पर / शिशु शशि छवि चमके
     शक्ति-भक्ति, युक्ति-मुक्ति / कर त्रिशूल दमके
     जटाजूट बिखर बिखर / कहते शुचि गाथा
     स्वेद-बिंदु कन सज्जित / नीलभित माथा
     नीलकण्ठ उमानाथ / पशुपति त्रिपुरारी
     विश्वनाथ सोमनाथ / जगपति कामारी
     महाकाल वैद्यनाथ / सति-पति अविनाशी
     नर्मदेश शशिपतेश / गंगेश्वर योगी
     वैरागी-अनुरागी / भूतेश्वर भोगी
     दयानाथ क्षमानाथ / कृपानाथ दाता
     रामेश्वर गोपेश्वर / गुप्तेश्वर त्राता
     कंकर-कंकरवासी / घट-घट सन्यासी
     ओढ़े दिक्-अम्बर हँस / सत-शिव आभासी
     सुंदर सुन्दरतर हे! / सुन्दरतम देवा
     सत-चित-आनंद तुम्हीं / करो सफल सेवा
                    *********
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, नित, निधि, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हेमंत, हंसगति, हंसी)
।। हिंदी आटा माढ़िये, उर्दू मोयन डाल । 'सलिल' संस्कृत सान दे, पूरी बने कमाल ।।
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'