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सोमवार, 20 मई 2013

Emjambment अपूर्णान्वयी छंद दीप्ति गुप्ता - संजीव


14)  Enjambment :
  दीप्ति गुप्ता
इसमें कविता  की पहली दो पंक्तियों के  अंतिम शब्द से  अगली दो-दो पंक्तियां   शुरू होती हैं और अंत तक  कविता इसी तरह लिखी जाती है  ! जैसे –
 
The word Enjambment comes from the French word for "to straddle". Enjambment  poem  is the  continuation of  stanzas  from  the  last  word  of previous   two lines  into the next.
                              

  ‘Tree’
    I think that I shall never see
A poem lovely as a tree.

A tree whose hungry mouth is prest
Against the sweet earth's flowing breast;

A tree that looks at God all day,
And lifts her leafy arms to pray;

A tree that may in summer wear
A nest of robins in her hair; 


अपूर्णान्वयी छंद:
(Enjambment poetry in Hindi)
झूठ न होता झूठ
संजीव

'झूठ कभी मत बोलना', शिक्षक ने दी सीख
पूछा बालक ने: 'कहाँ इससे बढ़कर झूठ।

झूठ न बोलें तो कहें, कैसे होगा काम?
काम बिना हो जाएगा, अपना काम तमाम।

झूठ बिना क्या कहेगा? नेता, पंडित, चोर।
रहे मौन तो नहीं क्या, होगा संकट घोर?

झूठ बिना थाने सभी, हो जायेंगे बंद।
सभी वकील-अदालतें, गायेंगे क्या छंद?

झूठ बिना क्या कहेंगे, दफ्तर जाकर लेट?
छापा मारे आयकर, जिस पर वह अपसेट।

झूठ बिना खुद सत्य भी, मर जाए बिन मौत।
क्या कह दें? पूछे पुलिस कौन हुआ है फौत?

'झूठ न होता झूठ गर सच दें उसको नाम।'
शिक्षक बोला, छात्र ने सविनय किया प्रणाम।।

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