कुल पेज दृश्य

chhand kajjal लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
chhand kajjal लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 23 मार्च 2019

कज्जल छंद

छंद सलिला:
कज्जल छंद
संजीव
*
लक्षण: सममात्रिक छंद, जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, चरणांत लघु-गुरु
लक्षण छंद:
कज्जल कोर निहार मौन,
चौदह रत्न न चाह कौन?
गुरु-लघु अंत रखें समान,
रचिए छंद सरस सुजान
उदाहरण:
१. देव! निहार मेरी ओर,
रखें कर में जीवन-डोर
शांत रहे मन भूल शोर,
नयी आस दे नित्य भोर
२. कोई नहीं तुमसा ईश
तुम्हीं नदीश, तुम्ही गिरीश।
अगनि गगन तुम्हीं पृथीश
मनुज हो सके प्रभु मनीष।
३. करेंगे हिंदी में काम
तभी हो भारत का नाम
तजिए मत लें धैर्य थाम
समय ठीक या रहे वाम
२३.३.२०१४
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, मानव, माली, माया, माला, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)