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मंगलवार, 22 जून 2021

घनश्याम छंद

छंद सलिला :
घनश्याम छंद
*
संरचना १२१ १२१ २११ २११ २११ २ 
*
भजो नित इष्ट , श्री घनश्याम सदा जग के 
हरें हर कष्ट , गोकुलनाथ सदा सब के 
नहीं छल-छद्म , का कुछ काम कहे छलिया  
करे वह प्रीत , हो मनमीत अरे! रसिया 
न माखन चोर , के बिन शांत रहे मइया 
सदा गउपाल , का जप नाम सुखी गुइया
लगा पग धूल , लूँ निज माथ तरूँ भव से 
उठा सुखधाम , कंठ लगा लें खुद झट से 
***
  

मंगलवार, 23 जून 2020

घनश्याम छंद

छंद सलिला:
सोलह अक्षरी वार्णिक घनश्याम छंद
लक्षण: जगण जगण भगण भगण भगण गुरु
मापनी: १२१ १२१ २११ २११ २११ २
लय: ललालल लाल लाल ललालल लाल लला
***
यति: ५-५-६
नहीं रुकना, नहीं झुकना, बदनाम न हो
नहीं जगना, नहीं उठना, यश-नाम न हो
नहीं लड़ना, नहीं भिड़ना, चुक शाम न हो
यहीं मरना, यहीं तरना, प्रभु वाम न हो
*
यति: १०, ६
विशाल वितान देख जरा, मत भाग कभी
ढलाव-चढ़ान लेख जरा, मत हार कभी
प्रयास-विकास रेख बने, मनुहार सदा
मिलाप-विछोह दे न भुला, कर प्यार सदा
*
यति ६, १०
करो न विनाश, हो अब तो कुछ काम नया
रहो न हताश, हो अब तो परिणाम नया
जुटा न कबाड़, सूरज सा नव भोर उगा
बना न बिगाड़, हो तब ही यश-नाम नया
***
टीप: कृपया बताएँ-
१. घनश्याम एक छंद है या छंद समूह (जाति)?
२. एक ही मापनी पर रचित छंदों में गति-यति परिवर्तन स्वीकार्य हो या न हो?
३. क्या गति-यति परिवर्तन से बनी छंद, नए छंद कहे जाएँ?
४. यदि हाँ, तो इस तरह बने असंख्य छंदों के नामकरण कौन, किस आधार पर करेगा?
५. हिंदीतर छंदों (लावणी, माहिया, सोनेट, कपलेट, बैलेड, हाइकु, तांका स्नैर्यु आदि) को हिंदी छन्दशास्त्र का अंग कहा जाए या नहीं?
६. गणों से साम्य रखनेवाले लयखंड (रुक्न) और उनसे निर्मित छंद (बहर) हिंदी की हैं या अन्य भाषा की?
७. लोकगीतों में प्रयुक्त लयखंड हिंदी छंद शास्त्र का हिस्सा हैं या नहीं? यदि हैं तो उनकी मापनी कौन-कैसे-कब निर्धारित करेगा?
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