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बुधवार, 28 नवंबर 2012

शिशु गीत सलिला : 4 संजीव 'सलिल'


शिशु गीत सलिला : 4

संजीव 'सलिल'
*
31. धूप



खिड़की से घर में घुस आई,

परियों सी नाची-इठलाई।
सुबह गुनगुनी धूप सुनहरी-
सोन-किरण सबके मन भाई।।



बब्बा ने अखबार उठाया-
दादी ने मालिश करवाई।
बहिना गुड्डा-गुड़िया लाई,
दोनों की शादी करवाई।।
*
32. गौरैया



खिड़की से आयी
गौरैया,
बना घोंसला मुस्काई।
देख किसी को आता पास
फुर से उड़ जाती भाई।।



इसको कहते गौरैया,
यह है चूजे की मैया।
दाना उसे चुगाती है-
थककर कहे न- हे दैया!।।
*
33. दिन


दिन कहता है काम करो,
पाओ सफलता, नाम करो।
आलस छोड़ो, मेहनत कर,
मंजिल पा,  आराम करो।

34. शाम



हुई शाम डूबा सूरज, कहे:
'न मेहनत का पथ तज।'
सारे जग को राह दिखा-
कर विश्राम राम को भज।।
*
35. रात



हुआ अँधेरा आई रात,
जाओ न बाहर मानो बात।
खा-पीकर आराम करो-
सो देखो सपने, हो प्रात।।
*
36. चंदा मामा 


चंदा मामा आओ न,
तारे भी संग लाओ ना।
गिल्ली-डंडा कल खेलें-
आज पतंग उड़ाओ ना।।
*
37.चाँद



चाँद दिख रहा थाली सा,
रोटी फूलीवाली सा।
आलूचाप कभी लगता-
कभी खीर की प्याली सा।।



हँसिया कैसे बन जाता?

बादल पीछे छिप गाता।
कभी नहीं दीखता नभ में-
कभी चाँदनी बरसाता।।
*
38. तारा

सबकी आँखों का तारा,
पूर्व दिशा में ध्रुव तारा।
चमचम खूब चमकता है-
प्रभु को भी लगता प्यारा।।
*
39. तारे



तारे कभी नहीं लड़ते,
हिल-मिल खेल खेलते हैं।
आपद विपदा संकट को-
सँग-सँग 'सलिल' झेलते हैं।।
*
40. बादल


आसमान पर छाता बादल,
गर्मी-धूप घटाता बादल।
धरती पर फसलें उपजाने-
पानी भी बरसाता बादल।।


काला नीला लाल गुलाबी
कितने रंग दिखाता बादल।
मनचाहे आकार बनाता-
बच्चों को मन भाता बादल।।
*