आँख पर मुहावरे:
आँखें लगना = नींद आ जाना।
जैसे ही आँखें लगीं, दरवाज़े की सांकल बज गयी।
हमने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू -गुलजार
छलके तेरी आँखों से शराब और ज्यादा -हसरत जयपुरी
जलते हैं जिसके लिये, तेरी आँखों के दिये -मजरूह सुल्तानपुरी
आँख मारना = इंगित / इशारा करना।
मुझे आँख मारते देख गवाह मौन हो गया।
मुझे आँख मारते देख गवाह मौन हो गया।
आँखें आना = आँखों का रोग होना।
आँखें आने पर काला चश्मा पहनें।
आँखें आने पर काला चश्मा पहनें।
आँखें चुराना = छिपाना।
उसने समय पर काम नहीं किया इसलिए आँखें चुरा रहा है।
उसने समय पर काम नहीं किया इसलिए आँखें चुरा रहा है।
आँखें झुकना = शर्म आना।
वर को देखते ही वधु की आँखें झुक गयीं।
वर को देखते ही वधु की आँखें झुक गयीं।
आँखें झुकाना = शर्म आना।
ऐसा काम मत करो कि आँखें झुकाना पड़े।
आँखें टकराना = चुनौती देना।
आँखें टकरा रहे हो तो परिणाम भोगने की तैयारी भी रखो।
ऐसा काम मत करो कि आँखें झुकाना पड़े।
आँखें टकराना = चुनौती देना।
आँखें टकरा रहे हो तो परिणाम भोगने की तैयारी भी रखो।
आँखें दिखाना = गुस्से से देखना।
दुश्मन की क्या मजाल जो हमें आँखें दिखा सके?
आँखें नटेरना = घूरना।
आँखें मत नटेरो, अच्छा नहीं लगता।
दुश्मन की क्या मजाल जो हमें आँखें दिखा सके?
आँखें नटेरना = घूरना।
आँखें मत नटेरो, अच्छा नहीं लगता।
आँखें फेरना = अनदेखी करना।
आज के युग में बच्चे बूढ़े माँ-बाप से आँखें फेरने लगे हैं।
आज के युग में बच्चे बूढ़े माँ-बाप से आँखें फेरने लगे हैं।
आँखें बंद होना = मृत्यु होना।
हृदयाघात होते ही उसकी आँखें बंद हो गयीं।
हृदयाघात होते ही उसकी आँखें बंद हो गयीं।
आँखें मिलना = प्यार होना।
आँखें मिल गयी हैं तो विवाह के पथ पर चल पड़ो।
आँखें मिल गयी हैं तो विवाह के पथ पर चल पड़ो।
आँखें मिलाना = प्यार करना।
आँखें मिलाई हैं तो जिम्मेदारी से मत भागो।
आँखों में आँखें डालना = प्यार करना।
लैला मजनू की तरह आँखों में ऑंखें डालकर बैठे हैं।
आँखें मिलाई हैं तो जिम्मेदारी से मत भागो।
आँखों में आँखें डालना = प्यार करना।
लैला मजनू की तरह आँखों में ऑंखें डालकर बैठे हैं।
आँखें मुँदना = नींद आना, मर जाना।
लोरी सुनते ही ऑंखें मुँद गयीं।
माँ की आँखें मुँदते ही भाई लड़ने लगे।
लोरी सुनते ही ऑंखें मुँद गयीं।
माँ की आँखें मुँदते ही भाई लड़ने लगे।
आँखें मूँदना = सो जाना।
उसने थकावट के कारण आँखें मूँद लीं।
उसने थकावट के कारण आँखें मूँद लीं।
आँखें मूँदना = मर जाना।
डॉक्टर इलाज कर पते इसके पहले ही घायल ने आँखें मूँद लीं।
डॉक्टर इलाज कर पते इसके पहले ही घायल ने आँखें मूँद लीं।
आँखें लगना = नींद आ जाना।
जैसे ही आँखें लगीं, दरवाज़े की सांकल बज गयी।
आँखें लड़ना = प्रेम होना।
आँखें लड़ गयी हैं तो सबको बता दो।
आँखें लड़ गयी हैं तो सबको बता दो।
आँखें लड़ाना = प्रेम करना।
आँखें लड़ाना आसान है, निभाना कठिन।
आँखें लड़ाना आसान है, निभाना कठिन।
आँखें बिछाना = स्वागत करना।
मित्र के आगमन पर उसने आँखें बिछा दीं।
मित्र के आगमन पर उसने आँखें बिछा दीं।
आँखों का काँटा = शत्रु।
घुसपैठिए सेना की आँखों का काँटा हैं।
आँख का तारा = लाड़ला।
कान्हा यशोदा मैया की आँखों का तारा था।
घुसपैठिए सेना की आँखों का काँटा हैं।
आँख का तारा = लाड़ला।
कान्हा यशोदा मैया की आँखों का तारा था।
आँखों की किरकिरी = जो अच्छा न लगे।
आतंकवादी मानव की आँखों की किरकिरी हैं।
आतंकवादी मानव की आँखों की किरकिरी हैं।
आँखों में खून उतरना = अत्यधिक क्रोध आना।
कसाब को देखते ही जनता की आँखों में खून उतर आया।
कसाब को देखते ही जनता की आँखों में खून उतर आया।
आँखों में धूल झोंकना = धोखा देना।
खड़गसिंग बाबा भारती की आँखों में धूल झोंक कर भाग गया।
खड़गसिंग बाबा भारती की आँखों में धूल झोंक कर भाग गया।
आँखों से गिरना = सम्मान समाप्त होना।
झूठे आश्वासन देकर नेता मतदाताओं की आँखों से गिर गए हैं।
झूठे आश्वासन देकर नेता मतदाताओं की आँखों से गिर गए हैं।
आँखों-आँखों में बात होना = इशारे से बात करना।
आँखों-आँखों में बात हुई और दोनों कक्षा से बाहर हो गये।
आँखों-आँखों में बात हुई और दोनों कक्षा से बाहर हो गये।
आँख से सम्बंधित मुहावरे:
अंधो मेँ काना राजा = अयोग्यों में खुद को योग्य बताना।
अंधों में काना राजा बनने से योग्यता सिद्ध नहीं होती।
अंधों में काना राजा बनने से योग्यता सिद्ध नहीं होती।
एक आँख से देखना = समानता का व्यवहार करना।
सगे और सौतेले बेटे को एक आँख से कौन देखता है?
सगे और सौतेले बेटे को एक आँख से कौन देखता है?
फूटी आँखों न सुहाना = एकदम नापसंद करना।
माली की बेटी रानी को फूटी आँखों न सुहाती थी।
माली की बेटी रानी को फूटी आँखों न सुहाती थी।
कहावत
अंधे के आगे रोना, अपने नैना खोना = नासमझ/असमर्थ के सामने अपनी व्यथा कहना।
नेता को दुःख-दर्द बताना ऐसा ही है जैसे अंधे के आगे रोना, अपने नैना खोना।
नेता को दुःख-दर्द बताना ऐसा ही है जैसे अंधे के आगे रोना, अपने नैना खोना।
आँख का अंधा नाम नैन सुख = नाम के अनुसार गुण न होना।
उसका नाम तो बहादुर है पर छिपकली से डर भी जाता हैं, इसी को कहते हैं आँख का अँधा नाम नैन सुख।
आँख पर चित्रपटीय गीत
हमने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू -गुलजार
छलके तेरी आँखों से शराब और ज्यादा -हसरत जयपुरी
जलते हैं जिसके लिये, तेरी आँखों के दिये -मजरूह सुल्तानपुरी
आँखों के ऊपर “आँखें” नाम से अभी तक जो मुझे पता है, तीन फिल्में बन चुकी हैं, २००२ (विपुल शाह निर्देशित अमिताभ बच्चन के साथ), १९९३(डेविड धवन निर्देशित गोविंदा के साथ) और १९६८ (रामानंद सागर निर्देशित धर्मेन्द्र के साथ)।
सबसे पहले उन आँखों का जिक्र करते हैं जो शांत हैं, चौकस हैं और जरूरत पड़ने पर अंगारे भी बरसाती हैं। अगर अभी तक आप अंदाज नही लगा पायें हैं तो मैं सीमा पर पहरा देती बहादुर फौजियों की आँखों का जिक्र कर रहा हूँ और इन आँखों पर साहिर लुधयानवी ने क्या खूब लिखा है – उस मुल्क की सरहद को कोई छू नही सकता जिस मुल्क की सरहद की निगेहबाँ हैं आँखें…….शबनम कभी शोला कभी तूफान हैं आँखें।
अक्सर प्रेमी युगल आँखों का उपयोग बातें करने में भी करते हैं शायद ऐसे ही किसी जोड़े को देख जान निसार अख्तर ने लिखा “आँखों ही आँखों में इशारा हो गया“। बात इशारों तक ही सीमित नही रहती कुछ प्रेमी इन आँखों को शो-केस की तरह इस्तेमाल भी करते हैं, और गुलजार ने इसे कुछ यूँ बयाँ किया “आँखों में हमने आपके सपने सजाये हैं“, और “आपकी आँखों में कुछ महके हुए से ख्वाब हैं“।
आँखों में सपने और ख्वाब के अलावा भी बहुत कुछ देखा जा सकता है मसलन एस एच बिहारी (फिल्म किस्मत में नूर देवासी ने भी गीत लिखे थे) कहते हैं, “आँखों में कयामत के काजल” जबकि राजेन्द्र कृष्ण का मानना है, “आँखों में मस्ती शराब की” लेकिन इतना सब सुनकर भी मजरूह (सुल्तानपुरी) साहेब मासूमियत से पूछते हैं, “आँखों में क्या जी?” एक तरफ शराब की मस्ती की बात करने वाले राजेन्द्र कृष्ण ठुकराये जाने का दर्द कुछ इस तरह बयाँ करते हैं, “आँसू समझ के क्यों मुझे आँख से तुमने गिरा दिया, मोती किसी के प्यार का मिट्टी में क्यों मिला दिया“।
प्रेम धवन भी आँखों की तारीफ में पीछे नही रहते और कह उठते हैं, “बहुत हसीँ है तुम्हारी आँखें, कहो तो मैं इनसे प्यार कर लूँ” जबकि साहिर लुधयानवी साहेब का कुछ ये कहना है, “भूल सकता है भला कौन प्यारी आँखें, रंग में डूबी हुई नींद से भारी आँखें“। लेकिन राजेन्द्र कृष्ण के ख्यालात अपने साथियों से बिल्कुल जुदा है, ये एक तरफ कहते हैं “आँखें हमारी हों सपने तुम्हारे हों” और फिर इशारे में बात करने लगते हैं “तेरी आँख का जो इशारा ना होता, तो बिस्मिल कभी दिल हमारा ना होता“।
कैफी आजमी साहब जहाँ सवालिया मूड में सवाल करते हैं, “जाने क्या ढूँढती रहती हैं ये आँखें मुझमें, राख के ढेर में शोला है ना चिंगारी है” वहीं दिल्ली के तख्त में बैठने वाले आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर अपनी जिंदगी के दुख को यूँ बयाँ करते हैं, “ना किसी की आँख का नूर हूँ, ना किसी के दिल का करार हूँ, जो किसी के काम ना आ सके मैं वो एक मुस्त-ए-गुबार हूँ“।
साहिर लुधयानवी से बादशाह का दुख नही देखा गया और कलम उठा के उनको पाती में लिख भेजा, “पोंछ कर अश्क अपनी आँखों से मुस्कुराओ तो कोई बात बने, सर झुकाने से कुछ नही होगा, सर उठाओ तो कोई बात बने“।
और इस पोस्ट के अंत में एक बार फिर गुलजार साहब का आँखों पर लिखा कुछ इस तरह है , “मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू, सूना है आबसारों को बड़ी तकलीफ होती है“।
लेकिन आँखों पर लिखे पहले भाग में आनंद बख्शी का आँखों पर कही बात कैसे छोड़ सकते हैं भला,-
कितने दिन आँखें तरसेंगी, कितने दिन यूँ दिल तरसेंगे,
एक दिन तो बादल बरसेंगे, ऐ मेरे प्यासे दिल।
आज नही तो कल महकेगी ख्वाबों की महफिल।
आँखों ही आँखों में इशारा हो गया / बैठे-बैठे जीने का सहारा हो गया।
आँखों-आँखों में बात होने दो / मुझको अपनी बाँहों में सोने दो।
ये काली-काली आँखें / ये गोर-गोरे गाल -दिलवाले
आँखें भी होती हैं दिल की जुबां / बिन बोले, कर देती हैं हालत ये पल में बयां -हासिल
उस मुल्क की सरहद को कोइ छू नहीं सकता / जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हो आँखें -आँखें
आँखों की, गुस्ताखियाँ, माफ़ हो /
आँखों में तेरी अजब सी, अजब सी अदाएं हैं -ॐ शांति ॐ
सुरीली आँखोंवाले सुना है तेरी आँखों में / बहती हैं नींदें, और नींदों में सपने -वीर
कत्थई आँखोंवाली लड़की / एक ही बात पे रोज लड़ती है -डुप्लीकेट
तेरी कली अँखियों से, जिंद मेरी जागे / धड़कन से तेज दौडूँ, सपनों से आगे
नैन सो नैन नहीं मिलाओ / देखत सूरत आवत लाज सैयां!
तेरे मस्त-मस्त दो नैन / मेरे दिल का ले गए चैन
तोसे नैना लागे पिया!
तेरे नैना बड़े दगाबाज रे! - दगाबाज रे
तेरे नैना बड़े कातिल मार ही डालेंगे -जय हो
तेरे नैना हँस दिए / बस गए दिल में मेरे / तेरे नैना -चाँदनी चौक टु चाइना
नैनों की चाल है, मखमली हाल है / नीची पलकों से बदले समा
निगाहें मिलाने को जी चाहता है / दिलो-जां लुटाने को जी चाहता है