कुल पेज दृश्य

छंद सुखदा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
छंद सुखदा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 13 मई 2022

छंद सुखदा,छंद माली,छंद मधुमालती,छंद मनमोहन, छंद मनोरम, छंद मानव

छंद सलिला:

सुखदा छंद

*
छंद-लक्षण: जाति महारौद्र, प्रति चरण मात्रा २२ मात्रा, यति १२-१०, चरणांत गुरु (यगण, मगण, रगण, सगण)
लक्षण छंद:
सुखदा बारह-दस यति, मन की बात कहे
गुरु से करें पद-अंत, मंज़िल निकट रहे
उदाहरण:
१. नेता भ्रष्ट हुए जो / उनको धुनना है
जनसेवक जो सच्चे / उनको सुनना है
सोच-समझ जनप्रतिनिधि, हमको चुनना है
शुभ भविष्य के सपने, उज्ज्वल बुनना है
२. कदम-कदम बढ़ना है / मंज़िल पग चूमे
मिल सीढ़ी चढ़ना है, मन हँसकर झूमे
कभी नहीं डरना है / मिल मुश्किल जीतें
छंद-कलश छलकें / 'सलिल' नहीं रीतें
३. राजनीति सुना रही / स्वार्थ क राग है
देश को झुलसा रही, द्वेष की आग है
नेतागण मतलब की , रोटियाँ सेंकते
जनता का पीड़ा-दुःख / दल नहीं देखता
माली (राजीवगण) छंद
*
छंद-लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १८ मात्रा, यति ९ - ९
लक्षण छंद:
प्रति चरण मात्रा, अठारह रख लें
नौ-नौ पर रहे, यति यह परख लें
राजीव महके, परिंदा चहके
माली-भ्रमर सँग, तितली निरख लें
उदाहरण:
१. आ गयी होली, खेल हमजोली
भीगा दूं चोली, लजा मत भोली
भरी पिचकारी, यूँ न दे गारी,
फ़िज़ा है न्यारी, मान जा प्यारी
खा रही टोली, भांग की गोली
मार मत बोली,व्यंग्य में घोली
तू नहीं हारी, बिरज की नारी
हुलस मतवारी, डरे बनवारी
पोल क्यों खोली?, लगा ले रोली
प्रीती कब तोली, लग गले भोली
२. कर नमन हर को, वर उमा वर को
जीतकर डर को, ले उठा सर को
साध ले सुर को, छिपा ले गुर को
बचा ले घर को, दरीचे-दर को
३. सच को न तजिए, श्री राम भजिए
सदग्रन्थ पढ़िए, मत पंथ तजिए
पग को निरखिए, पथ भी परखिए
कोशिशें करिए, मंज़िलें वरिये
***
मधुमालती छंद
*
छंद-लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण) होता है.
लक्षण छंद:
मधुमालती आनंद दे
ऋषि साध सुर नव छंद दे
चरणांत गुरु लघु गुरु रहे
हर छंद नवउत्कर्ष दे।
उदाहरण:
१. माँ भारती वरदान दो
सत्-शिव-सरस हर गान दो
मन में नहीं अभिमान हो
घर-अग्र 'सलिल' मधु गान हो।
२. सोते बहुत अब तो जगो
खुद को नहीं खुद ही ठगो
कानून को तोड़ो नहीं-
अधिकार भी छोडो नहीं
***
मनमोहन छंद
*
छंद-लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ८-६, चरणांत लघु लघु लघु (नगण) होता है.
लक्षण छंद:
रासविहारी, कमलनयन
अष्ट-षष्ठ यति, छंद रतन
अंत धरे लघु तीन कदम
नतमस्तक बलि, मिटे भरम.
उदाहरण:
१. हे गोपालक!, हे गिरिधर!!
हे जसुदासुत!, हे नटवर!!
हरो मुरारी! कष्ट सकल
प्रभु! प्रयास हर करो सफल.
२. राधा-कृष्णा सखी प्रवर
पार्थ-सुदामा सखा सुघर
दो माँ-बाबा, सँग हलधर
लाड लड़ाते जी भरकर
३. कंकर-कंकर शंकर हर
पग-पग चलकर मंज़िल वर
बाधा-संकट से मर डर
नीलकंठ सम पियो ज़हर
***
मनोरम छंद
*
छंद-लक्षण: समपाद मात्रिक छंद, जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, चरणारंभ गुरु, चरणांत गुरु लघु लघु या लघु गुरु गुरु होता है.
लक्षण छंद:
हैं भुवन चौदह मनोरम
आदि गुरु हो तो मिले मग
हो हमेश अंत में अंत भय
लक्ष्य वर लो बढ़ाओ पग
उदाहरण:
१. साया भी साथ न देता
जाया भी साथ न देता
माया जब मन भरमाती
काया कब साथ निभाती
२. सत्य तज मत 'सलिल' भागो
कर्म कर फल तुम न माँगो
प्राप्य तुमको खुद मिलेगा
धर्म सच्चा समझ जागो
३. लो चलो अब तो बचाओ
देश को दल बेच खाते
नीति खो नेता सभी मिल
रिश्वतें ले जोड़ते धन
४. सांसदों तज मोह-माया
संसदीय परंपरा को
आज बदलो, लोक जोड़ो-
तंत्र को जन हेतु मोड़ो
***
मानव छंद
*
छंद-लक्षण: समपाद मात्रिक छंद, जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, चरणारंभ गुरु, चरणांत गुरु लघु लघु या लघु गुरु गुरु होता है.
लक्षण छंद:
हैं भुवन चौदह मनोरम
आदि गुरु हो तो मिले मग
हो हमेश अंत में अंत भय
लक्ष्य वर लो बढ़ाओ पग
उदाहरण:
१. साया भी साथ न देता
जाया भी साथ न देता
माया जब मन भरमाती
काया कब साथ निभाती
२. सत्य तज मत 'सलिल' भागो
कर्म कर फल तुम न माँगो
प्राप्य तुमको खुद मिलेगा
धर्म सच्चा समझ जागो
३. लो चलो अब तो बचाओ
देश को दल बेच खाते
नीति खो नेता सभी मिल
रिश्वतें ले जोड़ते धन
४. सांसदों तज मोह-माया
संसदीय परंपरा को
आज बदलो, लोक जोड़ो-
तंत्र को जन हेतु मोड़ो
१३-५-२०१४
***

गुरुवार, 13 मई 2021

सुखदा छंद

छंद सलिला:
सुखदा छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति महारौद्र, प्रति चरण मात्रा २२ मात्रा, यति १२-१०, चरणांत गुरु (यगण, मगण, रगण, सगण)
लक्षण छंद:
सुखदा बारह-दस यति, मन की बात कहे
गुरु से करें पद-अंत, मंज़िल निकट रहे
उदाहरण:
१. नेता भ्रष्ट हुए जो / उनको धुनना है
जनसेवक जो सच्चे / उनको सुनना है
सोच-समझ जनप्रतिनिधि, हमको चुनना है
शुभ भविष्य के सपने, उज्ज्वल बुनना है
२. कदम-कदम बढ़ना है / मंज़िल पग चूमे
मिल सीढ़ी चढ़ना है, मन हँसकर झूमे
कभी नहीं डरना है / मिल मुश्किल जीतें
छंद-कलश छलकें / 'सलिल' नहीं रीतें
३. राजनीति सुना रही / स्वार्थ क राग है
देश को झुलसा रही, द्वेष की आग है
नेतागण मतलब की , रोटियाँ सेंकते
जनता का पीड़ा-दुःख / दल नहीं देखता
*********
१३-५-२०१४
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुखदा, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

बुधवार, 13 मई 2020

सुखदा छंद


छंद सलिला:
सुखदा छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति महारौद्र, प्रति चरण मात्रा २२ मात्रा, यति १२-१०, चरणांत गुरु (यगण, मगण, रगण, सगण)
लक्षण छंद:
सुखदा बारह-दस यति, मन की बात कहे
गुरु से करें पद-अंत, मंज़िल निकट रहे
उदाहरण:
१. नेता भ्रष्ट हुए जो / उनको धुनना है
जनसेवक जो सच्चे / उनको सुनना है
सोच-समझ जनप्रतिनिधि, हमको चुनना है
शुभ भविष्य के सपने, उज्ज्वल बुनना है
२. कदम-कदम बढ़ना है / मंज़िल पग चूमे
मिल सीढ़ी चढ़ना है, मन हँसकर झूमे
कभी नहीं डरना है / मिल मुश्किल जीतें
छंद-कलश छलकें / 'सलिल' नहीं रीतें
३. राजनीति सुना रही / स्वार्थ क राग है
देश को झुलसा रही, द्वेष की आग है
नेतागण मतलब की , रोटियाँ सेंकते
जनता का पीड़ा-दुःख / दल नहीं देखता
*********
१३-५-२०१४ 
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुखदा, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)