कुल पेज दृश्य

amritdhvani chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
amritdhvani chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 20 जुलाई 2011

गीत; फिर आओ जा याचक द्वारे? संजीव 'सलिल'

गीत;
फिर आओ जा याचक द्वारे?
संजीव 'सलिल'
*
फिर आओ जा याचक द्वारे?...

कहत छंद कछु रचो-सुनाओ.
दर्द सहो चुप औ' मुस्काओ..
जौन कबीरा बसो हिया मां-
सोन न दो, कर टेर जगाओ.
सावन आओ कजरी गा रे...

जलधर-हलधर भेंटे भुजभर.
बीच हमारे अंतर गजभर.
मंतर फूँको, जंतर फूँको-
बाकी रहे न अंतर रजभर.
बन हरियाली मरु पर छा रे...

मंद छंद खों समझ न पावे.
चंद छन्द खों गले लगावे.
काव्य कामिनी टेर रही चुप-
कौन छंद खों हृदै बसावे.
ढाई आखर डूब-डूबा रे...
*
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com