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बुधवार, 28 सितंबर 2016

karya shala

कार्य शाला 
प्रश्न -उत्तर 

हिन्द घायल हो रहा है पाक के हर दंश से
गॉधीजी के बन्दरों का अब बताओ क्या करें ? -समन्दर की मौजें
*
बन्दरों की भेंट दे दो अब नवाज़ शरीफ को
बना देंगे जमूरा भारत का उनको शीघ्र ही - संजीव
*

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

नवगीत: हिंद और/ हिंदी की जय हो... संजीव 'सलिल'

नवगीत:
हिंदी की जय हो...
संजीव 'सलिल'
*
हिंद और
हिंदी की जय हो...
*
जनगण-मन की
अभिलाषा है.
हिंदी भावी
जगभाषा है.
शत-शत रूप
देश में प्रचलित.
बोल हो रहा
जन-जन प्रमुदित.
ईर्ष्या, डाह, बैर
मत बोलो.
गर्व सहित
बोलो निर्भय हो.
हिंद और
हिंदी की जय हो...
*
ध्वनि विज्ञानं
समाहित इसमें.
जन-अनुभूति
प्रवाहित इसमें.
श्रुति-स्मृति की
गहे विरासत.
अलंकार, रस,
छंद, सुभाषित.
नेह-प्रेम का
अमृत घोलो.
शब्द-शक्तिमय
वाक् अजय हो.
हिंद और
हिंदी की जय हो...
*
शब्द-सम्पदा
तत्सम-तद्भव.
भाव-व्यंजना
अद्भुत-अभिनव.
कारक-कर्तामय
जनवाणी.
कर्म-क्रिया कर
हो कल्याणी.
जो भी बोलो
पहले तौलो.
जगवाणी बोलो
रसमय हो.
हिंद और
हिंदी की जय हो...
**************

बुधवार, 14 सितंबर 2011

हिंदी दिवस पर विशेष गीत: सारा का सारा हिंदी है आचार्य संजीव 'सलिल' * जो कुछ भी इस देश में है, सारा का सारा हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... मणिपुरी, कथकली, भरतनाट्यम, कुचपुडी, गरबा अपना है. लेजिम, भंगड़ा, राई, डांडिया हर नूपुर का सपना है. गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, चनाब, सोन, चम्बल, ब्रम्हपुत्र, झेलम, रावी अठखेली करती हैं प्रति पल. लहर-लहर जयगान गुंजाये, हिंद में है और हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजा सबमें प्रभु एक समान. प्यार लुटाओ जितना, उतना पाओ औरों से सम्मान. स्नेह-सलिल में नित्य नहाकर, निर्माणों के दीप जलाकर. बाधा, संकट, संघर्षों को गले लगाओ नित मुस्काकर. पवन, वन्हि, जल, थल, नभ पावन, कण-कण तीरथ, हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... जै-जैवन्ती, भीमपलासी, मालकौंस, ठुमरी, गांधार. गजल, गीत, कविता, छंदों से छलक रहा है प्यार अपार. अरावली, सतपुडा, हिमालय, मैकल, विन्ध्य, उत्तुंग शिखर. ठहरे-ठहरे गाँव हमारे, आपाधापी लिए शहर. कुटी, महल, अँगना, चौबारा, हर घर-द्वारा हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... सरसों, मका, बाजरा, चाँवल, गेहूँ, अरहर, मूँग, चना. झुका किसी का मस्तक नीचे, 'सलिल' किसी का शीश तना. कीर्तन, प्रेयर, सबद, प्रार्थना, बाईबिल, गीता, ग्रंथ, कुरान. गौतम, गाँधी, नानक, अकबर, महावीर, शिव, राम महान. रास कृष्ण का, तांडव शिव का, लास्य-हास्य सब हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... ट्राम्बे, भाखरा, भेल, भिलाई, हरिकोटा, पोकरण रतन. आर्यभट्ट, एपल, रोहिणी के पीछे अगणित छिपे जतन. शिवा, प्रताप, सुभाष, भगत, रैदास कबीरा, मीरा, सूर. तुलसी. चिश्ती, नामदेव, रामानुज लाये खुदाई नूर. रमण, रवींद्र, विनोबा, नेहरु, जयप्रकाश भी हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... ****************************************

हिंदी दिवस पर विशेष गीत:

सारा का सारा हिंदी है

आचार्य संजीव 'सलिल'
*

जो कुछ भी इस देश में है, सारा का सारा हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


मणिपुरी, कथकली, भरतनाट्यम, कुचपुडी, गरबा अपना है.

लेजिम, भंगड़ा, राई, डांडिया हर नूपुर का सपना है.

गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, चनाब, सोन, चम्बल,

ब्रम्हपुत्र, झेलम, रावी अठखेली करती हैं प्रति पल.

लहर-लहर जयगान गुंजाये, हिंद में है और हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजा सबमें प्रभु एक समान.

प्यार लुटाओ जितना, उतना पाओ औरों से सम्मान.

स्नेह-सलिल में नित्य नहाकर, निर्माणों के दीप जलाकर.

बाधा, संकट, संघर्षों को गले लगाओ नित मुस्काकर.

पवन, वन्हि, जल, थल, नभ पावन, कण-कण तीरथ, हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


जै-जैवन्ती, भीमपलासी, मालकौंस, ठुमरी, गांधार.

गजल, गीत, कविता, छंदों से छलक रहा है प्यार अपार.

अरावली, सतपुडा, हिमालय, मैकल, विन्ध्य, उत्तुंग शिखर.

ठहरे-ठहरे गाँव हमारे, आपाधापी लिए शहर.

कुटी, महल, अँगना, चौबारा, हर घर-द्वारा हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


सरसों, मका, बाजरा, चाँवल, गेहूँ, अरहर, मूँग, चना.

झुका किसी का मस्तक नीचे, 'सलिल' किसी का शीश तना.

कीर्तन, प्रेयर, सबद, प्रार्थना, बाईबिल, गीता, ग्रंथ, कुरान.

गौतम, गाँधी, नानक, अकबर, महावीर, शिव, राम महान.

रास कृष्ण का, तांडव शिव का, लास्य-हास्य सब हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


ट्राम्बे, भाखरा, भेल, भिलाई, हरिकोटा, पोकरण रतन.

आर्यभट्ट, एपल, रोहिणी के पीछे अगणित छिपे जतन.

शिवा, प्रताप, सुभाष, भगत, रैदास कबीरा, मीरा, सूर.

तुलसी. चिश्ती, नामदेव, रामानुज लाये खुदाई नूर.

रमण, रवींद्र, विनोबा, नेहरु, जयप्रकाश भी हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....

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Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com