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शुक्रवार, 13 मई 2016

लघुकथा
कानून के रखवाले
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'हमने आरोपी को जमकर सबक सिखाया, उसके कपड़े तक ख़राब हो गये, बोलती बंद हो गयी। अब किसी की हिम्मत नहीं होगी हमारा विरोध करने की। हम किसी को अपना विरोध नहीं करने देंगे।' वक्ता की बात पूर्ण होने के पूर्व हो एक जागरूक श्रोता ने पूछा- ''आपका संविधान और कानून के जानकार है और अपने मुवक्किलों को उसके न्याय दिलाने का पेशा करते हैं। कृपया, बताइये संविधान के किस अनुच्छेद या किस कानून की किस कंडिका के तहत आपको एक सामान्य नागरिक होते हुए अन्य नागरिक विचाराभिव्यक्ति से रोकने और खुद दण्डित करने का अधिकार प्राप्त है? क्या आपसे असहमत अन्य नागरिक आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करे तो वह उचित होगा? यदि नागरिक विवेक के अनुसार एक-दूसरे को दण्ड देने के लिए स्वतंत्र हैं तो शासन, प्रशासन और न्यायालय किसलिए है? ऐसी स्थिति में आपका पेशा ही समाप्त हो जायेगा। आप क्या कहते हैं?

प्रश्नों की बौछार के बीच निरुत्तर-नतमस्तक खड़े थे कानून के तथाकथित रखवाले।
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लघुकथा के प्रभाव में वृद्धि के लिए इसके लम्बे संवाद को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित कर पुनर्प्रस्तुत किया जा रहा है. नए लघुकथाकार दोनों की तुलना कर इनके प्रभाव में अंतर को आंक सकते हैं.
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लघुकथा
कानून के रखवाले
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'हमने आरोपी को जमकर सबक सिखाया, उसके कपड़े तक ख़राब हो गये, बोलती बंद हो गयी। अब किसी की हिम्मत नहीं होगी हमारा विरोध करने की। हम किसी को अपना विरोध नहीं करने देंगे।'

वक्ता की बात पूर्ण होने के पूर्व हो एक जागरूक श्रोता ने पूछा- ''आपका संविधान और कानून के जानकार है और अपने मुवक्किलों को उसके न्याय दिलाने का पेशा करते हैं। कृपया, बताइये संविधान के किस अनुच्छेद या किस कानून की किस कंडिका के तहत आपको एक सामान्य नागरिक होते हुए अन्य नागरिक विचाराभिव्यक्ति से रोकने और खुद दण्डित करने का अधिकार प्राप्त है?"

अन्य श्रोता ने पूछा 'क्या आपसे असहमत अन्य नागरिक आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करे तो वह उचित होगा?'

"यदि नागरिक विवेक के अनुसार एक-दूसरे को दण्ड देने के लिए स्वतंत्र हैं तो शासन, प्रशासन और न्यायालय किसलिए है? ऐसी स्थिति में आपका पेशा ही समाप्त हो जायेगा। आप क्या कहते हैं?" चौथा व्यक्ति बोल पड़ा।

प्रश्नों की बौछार के बीच निरुत्तर-नतमस्तक खड़े थे कानून के तथाकथित रखवाले।
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शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

laghukatha:

लघुकथा: संजीव
कानून के रखवाले 
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हमने आरोपी को जमकर सबक सिखाया, उसके कपड़े गीले हो गये, बोलती बंद हो गयी। अब किसी की हिम्मत नहीं होगी हमारा विरोध करने की। हम अपने देश में ऐसा नहीं होने दे सकते। वक्ता अपने कृत्य का बखान करते हुए खुद को महिमामंडित कर रहे थे। 

उनकी बात पूर्ण होते ही एक श्रोता ने पूछा आप तो संविधान और कानून के जानकार होने का दवा करते हैं क्या बता सकेंगे कि संविधान का कौन सा अनुच्छेद या किस कानून की कौन सी कंडिका या धारा किसी नागरिक को अपनी विचारधारा से असहमत अन्य नागरिक को प्रतिबंधित या दंडित करने का धिकार देती है?

क्या आपसे भिन्न विचार धारा के नगरिकों को भी यह अधिकार है कि वे आपको घेरकर आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करें?

यह भी बतायें कि अगर नागरिकों को एक-दूसरे को दंड देने का अधिकार है तो न्यायालय किसलिए हैं? क्या इससे कानून-व्यवस्था नष्ट नहीं हो जाएगी? 

वकील होने के नाते आप खुद को कानून का रखवाला कहते हैं क्या कानून को हाथ में लेने के लिये आपको सामान्य नागरिक की तुलना में अधिक कड़ी सजा नहीं मिलना चाहिए?

प्रश्नों की बौछार के बीच निरुत्तर थे कानून के रखवाले।
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