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रविवार, 27 सितंबर 2020

बुंदेली मुक्तिका

 मुक्तिका बुंदेली में

*
पाक न तन्नक रहो पाक है?
बाकी बची न कहूँ धाक है।।
*
सूपनखा सें चाल-चलन कर
काटी अपनें हाथ नाक है।।
*
कीचड़ रहो उछाल हंस पर
मैला-बैठो दुष्ट काक है।।
*
अँधरा दहशतगर्द पाल खें
आँखन पे मल रओ आक है।।
*
कल अँधियारो पक्का जानो
बदी भाग में सिर्फ ख़ाक है।।
*
पख्तूनों खों कुचल-मार खें
दिल बलूच का करे चाक है।।
*
२६-९-२०१६

बुधवार, 28 सितंबर 2016

गीत

एक रचना 
बातें हों अब खरी-खरी 

मुँह देखी हो चुकी बहुत 
अब बातें हों कुछ खरी-खरी 
जो न बात से बात मानता
लातें तबियत करें हरी
*
पाक करे नापाक हरकतें
बार-बार मत चेताओ
दहशतगर्दों को घर में घुस
मार-मार अब दफनाओ
लंका से आतंक मिटाया
राघव ने यह याद रहे
काश्मीर को बचा-मिलाया
भारत में, इतिहास कहे
बांगला देश बनाया हमने
मत भूले रावलपिडी
कीलर-सेखों की बहादुरी
देख सरहदें थीं सिहरी
मुँह देखी हो चुकी बहुत
अब बातें हों कुछ खरी-खरी
*
करगिल से पिटकर भागे थे
भूल गए क्या लतखोरों?
सेंध लगा छिपकर घुसते हो
क्यों न लजाते हो चोरों?
पाले साँप, डँस रहे तुझको
आजा शरण बचा लेंगे
ज़हर उतार अजदहे से भी
तेरी कसम बचा लेंगे
है भारत का अंग एक तू
दुहराएगा फिर इतिहास
फिर बलूच-पख्तून बिरादर
के होंठों पर होगा हास
'जिए सिंध' के नारे खोदें
कब्र दुश्मनी की गहरी
मुँह देखी हो चुकी बहुत
अब बातें हों कुछ खरी-खरी
*
२१-९-२०१७

karya shala

कार्य शाला 
प्रश्न -उत्तर 

हिन्द घायल हो रहा है पाक के हर दंश से
गॉधीजी के बन्दरों का अब बताओ क्या करें ? -समन्दर की मौजें
*
बन्दरों की भेंट दे दो अब नवाज़ शरीफ को
बना देंगे जमूरा भारत का उनको शीघ्र ही - संजीव
*

मंगलवार, 19 मई 2009

काव्य-किरण: आशा वर्मा

गीत:

चलो तिरंगा ध्वज फहराएँ

सैनिक ऐसे शस्त्र चलाओ
रिपु-दल में भगदड़ मच जाए।

जांबाजों का शौर्य देखकर
दुश्मन की घिग्घी बँध जाए।

हों बुलंद हौसले तुम्हारे
जान हथेली पर रखना तुम।

देख तुम्हारा प्रबल पराक्रम
स्वयं काल तुमसे घबराए।


पृथ्वीराज, प्रताप, शिवाजी
विक्रम दुर्गा लक्ष्मी तात्या-


बिस्मिल, भगत, आजाद, बोस,
सेखों, त्यागी सी बनें कथाएँ।


शंकर प्रलयंकर बन टूटो
ध्वस्त शत्रु के करो इरादे।


सरहद पर कुरुक्षेत्र समर हो
मिटें विभाजन की रेखाएँ।


सर पर कफन बाँधकर मचलो,
लिखो शौर्य की नव गाथाएँ।


मिटा पाक नापाक समूचा
चलो तिरंगा ध्वज फहराएँ।

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