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मंगलवार, 22 नवंबर 2016

जन्म दिन पर अनंत शुभ कामनाएँ 
आदरणीया लावण्य शर्मा शाह को 
*
उमर बढ़े बढ़ते रहे ओज, रूप, लावण्य 
हर दिन दिनकर दे नए सपने चिर तारुण्य 
सपने चिर तारुण्य विरासत चिरजीवी हो
पा नरेंद्र-आशीष अमर मन मसिजीवी हो
नमन 'सलिल' का स्वीकारें पा करती-यश अमर
चिरतरुणी हों आप असर दिखाए ना उमर
***

शनिवार, 3 अगस्त 2013

virasat : rathwan -sw. narendra sharma

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgIT4IwYcPHjyoa2Y2i6pU9R-CObz3ebcePTwExv__h6RgLMAI9nfGY6pC6gyFWnGMKEn61DVifJyYufRI1xZ1QCQs95bkkLZ7tIeH9z102S5M1WdImNWBh81EH90V6fIAuHHVc6NS8wac/s1600/2.jpghttps://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiH1WBFrLztC4bZ8UnfZaJN-pldSGjbwzvKpGFqPjHnvc2nrLqEzRnHZQqrHNI-0JR9bn9Itud_qCyZch1QZ3L-OYQgEUKGP6fhaJMRX1pEAqrEzwBzNLu6qRuVvu3y1S3WDQ5OaaYAvQw/s1600/Lavanya-shah.jpg*विरासत:
रथवान  
स्व. नरेन्द्र शर्मा
साभार : लावण्या शाह 

*
हम रथवान, ब्याहली रथ में,
रोको मत पथ में
हमें तुम, रोको मत पथ में।

माना, हम साथी जीवन के,
पर तुम तन के हो, हम मन के।
हरि समरथ में नहीं, तुम्हारी गति हैं मन्मथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।


हम हरि के धन के रथ-वाहक,
तुम तस्कर, पर-धन के गाहक 
हम हैं, परमारथ-पथ-गामी, तुम रत स्वारथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।

दूर पिया, अति आतुर दुलहन,
हमसे मत उलझो तुम इस क्षण।
अरथ न कुछ भी हाथ लगेगा, ऐसे अनरथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।

अनधिकार कर जतन थके तुम,
छाया भी पर छू न सके तुम!
सदा-स्वरूपा एक सदृश वह पथ के इति-अथ में!
हमें तुम, रोको मत पथ में।

शशिमुख पर घूँघट पट झीना
चितवन दिव्य-स्वप्न-लवलीना,
दरस-आस में बिन्धा हुआ मन-मोती है नथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में। 

हम रथवान ब्याहली रथ में,
हमें तुम, रोको मत पथ में।

***

सोमवार, 24 अक्टूबर 2011

विरासत: धन तेरस पर उपहार 
मधु माँग ना मेरे मधुर मीत...

-- स्व. पं. नरेन्द्र शर्मा                                                             

मधु के दिन मेरे गये बीत !...
 
मैँने भी मधु के गीत रचे,
मेरे मन की मधुशाला मेँ
यदि होँ मेरे कुछ गीत बचे,
तो उन गीतोँ के कारण ही,
कुछ और निभा ले प्रीत ~ रीत !
मधु के दिन मेरे गये बीत...
 
मधु कहाँ , यहाँ गँगा - जल है !
प्रभु के छरणोँ मे रखने को ,
जीवन का पका हुआ फल है !
मन हार चुका मधुसदन को,
मैँ भूल छुका मधु भुरे गीत !
मधु के दिन मेरे गये बीत...
 
वह गुपचुप प्रेम भुरी बातेँ,
यह मुरझाया मन भूल चुका
वन कुँजोँ की गुँजित रातेँ
मधु कलषोँ के छलकाने की
हो गइ, मधुर बेला व्यतीत!
मधु के दिन मेरे गये बीत...
~~
आभार: lavanyashah@yahoo.com 
[ गायक : श्री . सुधीर फडकेजी ] ~