कुल पेज दृश्य

सोरठा सलिला लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सोरठा सलिला लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

सोरठा सलिला

सोरठा सलिला 
*
कहाँ मिले संतोष, आस पास तो है नहीं।
रीत रहा है कोष, तुष्टि नहीं मिलती कहीं।। 
*
कैसे पाएँ खोज, कहाँ गुम हुई प्रेरणा। 
निरुत्तरित हो रोज, प्रश्न आपसे पूछता।। 
*
यायावर प्रज्ञान, भटक रहा है चाँद पर। 
भारत का अभिमान, जनगण का अरमान है।।
*
विक्रम पर प्रज्ञान, लदा हुआ बैताल बन।
जान रहा अनजान, भेजे डाटा निरंतर।। 
*
लैंडर करता लैंड, जब तब रुकती श्वास हर।
है सचमुच यह ट्रेंड, सॉफ्ट लैंडिंग कर सका।।     
 *

रविवार, 8 अगस्त 2021

सोरठा सलिला

सोरठा सलिला:बजे श्वास-संतूर...
संजीव 'सलिल'
*
'तुम' जा बैठा दूर, 'मैं'-'मैं' मिल जब 'हम' हुए।
आँखें रहते सूर, जो न देख पाया रहा।।
*
अपने आप विलीन, 'मैं' में 'तुम' जब हो गया।
हर पल 'सलिल' नवीन, व्याप गई घर में खुशी।।
*
है जी का जंजाल, 'तुम' से 'मैं' की गैरियत।
'हम' बन हों खुशहाल, 'सलिल' इसी में खैरियत।।
*
याद नहीं उपहार, 'मैं' ने 'मैं' को कब दिया?
रूठीं 'सलिल' बहार, 'मैं' गुमसुम 'तुम' हो गई।।
*
भू पर लाते स्वर्ग, 'मैं' 'तुम' 'यह' 'वह' प्यार से।
दूर रहे अपवर्ग, 'सलिल' करें तकरार यदि।।
*
'तू' बनकर मधुमास, 'मैं' की आँखों में बसा।
आया सावन मास, जिस-तिस की क्यों फ़िक्र हो?
*
गृह-वाहन गतिशील, 'तू' 'मैं' के दो चक्र पर।
बाधा सके न लील, 'हम' ईधन गति-दिशा दे।।
*
हो न सके जब एक, 'तू' 'तू' है, 'मैं' 'मैं' रहा।
विपदा लिए अनेक, तू-तू मैं-मैं न्योत कर।।
*
ह्रदय हर्ष से चूर, 'मैं' 'तुम' हँस हमदम हुए।
नत नयनों में नूर, गाल गुलाबी हैं सलज।।
*
'मैं'-तम करे समाप्त, 'मैं' में 'मैं' का मिलन ही।
हो घर भर में व्याप्त, 'हम'-रवि की प्रेमिल किरण।।
*
'तू' शशि 'मैं' हो नूर, 'हम' बन करते बंदगी।
बजे श्वास-संतूर, शरत्पूर्णिमा ज़िंदगी।।
***