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गुरुवार, 20 जून 2019

व्यंग्य रचना: अभिनंदन लो

व्यंग्य रचना:
अभिनंदन लो 
*
युग-कवयित्री! अभिनंदन लो....
*
सब जग अपना, कुछ न पराया
शुभ सिद्धांत तुम्हें यह भाया.
गैर नहीं कुछ भी है जग में-
'विश्व एक' अपना सरमाया.
जहाँ मिले झट झपट वहीं से
अपने माथे यश-चंदन लो
युग-कवयित्री अभिनंदन लो....
*
मेरा-तेरा मिथ्या माया
दास कबीरा ने बतलाया.
भुला परायेपन को तुमने
गैर लिखे को कंठ बसाया.
पर उपकारी अन्य न तुमसा
जहाँ रुचे कविता कुंदन लो
युग-कवयित्री अभिनंदन लो....
*
हिमगिरी-जय सा किया यत्न है
तुम सी प्रतिभा काव्य रत्न है.
चोरी-डाका-लूट कहे जग
निशा तस्करी मुदित-मग्न है.
अग्र वाल पर रचना मेरी
तेरी हुई, महान लग्न है.
तुमने कवि को धन्य किया है
खुद का खुद कर मूल्यांकन लो
युग-कवयित्री अभिनंदन लो....
*
कवि का क्या? 'बेचैन' बहुत वह
तुमने चैन गले में धारी.
'कुँवर' पंक्ति में खड़ा रहे पर
हो न सके सत्ता अधिकारी.
करी कृपा उसकी रचना ले
नभ-वाणी पर पढ़कर धन लो
युग-कवयित्री अभिनंदन लो....
*
तुम जग-जननी, कविता तनया
जब जी चाहा कर ली मृगया.
किसकी है औकात रोक ले-
हो स्वतंत्र तुम सचमुच अभया.
दुस्साहस प्रति जग नतमस्तक
'छद्म-रत्न' हो, अलंकरण लो
युग-कवयित्री अभिनंदन लो....
***
टीप: श्रेष्ठ कवि की रचना को अपनी बताकर २३-५-२०१८ को प्रात: ६.४० बजे काव्य धारा कार्यक्रम में आकाशवाणी पर प्रस्तुत कर धनार्जन का अद्भुत पराक्रम करने के उपलक्ष्य में यह रचना समर्पित उसे ही जो इसका सुपात्र है)

गुरुवार, 27 नवंबर 2014

abhinandan

अभिनंदन 

सलिल-धार लहरों में बिम्बित 'हर नर्मदे' ध्वनित राकेश 
शीश झुकाते शब्द्ब्रम्ह आराधक सादर कह गीतेश 

जहाँ रहें घन श्याम वहाँ रसवर्षण होता सदा अनूप 
कमल कुसुम सज शब्द-शीश गुंजित करता है प्रणव अरूप
  
गौतम-राम अहिंसा-हिंसा भव में भरते आप महेश
मानोशी शार्दुला नीरजा किरण दीप्ति चारुत्व अशेष 

ममता समता श्री प्रकाश पा मुदित सुरेन्द्र हुए अमिताभ 
प्रतिभा को कर नमन हुई है कविता कविता अब अजिताभ 

सीता राम सदा करते संतोष मंजु महिमा अद्भुत 
व्योम पूर्णिमा शशि लेखे अनुराग सहित होकर विस्मित 

ललित खलिश हृद पीर माधुरी राहुल मन परितृप्त करे 
कान्त-कामिनी काव्य भामिनि भव-बाधा को सुप्त करे