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मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

कृष्ण-मृग हत्याकांड

त्वरित प्रतिक्रिया

कृष्ण-मृग हत्याकांड
*
मुग्ध हुई वे हिरन पर, किया न मति ने काम।
हरण हुआ बंदी रहीं, कहा विधाता वाम ।।
*
मुग्ध हुए ये हिरन पर, मिले गोश्त का स्वाद।
सजा हुई बंदी बने, क्यों करते फ़रियाद?
*
देर हुई है अत्यधिक, नहीं हुआ अंधेर।
सल्लू भैया सुधरिए, अब न कीजिए देर।।
*
हिरणों की हत्या करी, चला न कोई दाँव।
सजा मिली तो टिक नहीं, रहे जमीं पर पाँव।।
*
नर-हत्या से बचे पर, मृग-हत्या का दोष।
नहीं छिप सका भर गया, पापों का घट-कोष।।
*
आहों का होता असर, आज हुआ फिर सिद्ध।
औरों की परवा करें, नर हो बनें न गिद्ध।।
*
हीरो-हीरोइन नहीं, ख़ास नागरिक आम।
सजा सख्त हो तो मिले, सबक भोग अंजाम ।।
*
अब तक बचते रहे पर, न्याय हुआ इस बार।
जो छूटे उन पर करे, ऊँची कोर्ट विचार।।
*
फिर अपील हो सभी को, सख्त मिल सके दंड।
लाभ न दें संदेह का, तब सुधरेंगे बंड।।
*
न्यायपालिका से विनय करें न इतनी देर।
आम आदमी को लगे, होता है अंधेर।।
*
सरकारें जागें न दें, सुविधा कोई विशेष।
जेल जेल जैसी रहे, तनहा समय अशेष।।
**
६-४-२०१८

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

ख़बरदार कविता : कुण्डलिया

ख़बरदार कविता :
कुण्डलिया
बीस साल में जेल है, दो दिन में है बेल.
पकड़ो-छोडो में हुआ, चोर-पुलिस का खेल.
चोर-पुलिस का खेल, पंगु है न्याय व्यवस्था,
लाभ मिले शक का, सुधरे किस तरह अवस्था?
कहे सलिल कविराय, छूटता है क्यों रईस?
मारे-कुचले फिर भी नायक?, यही है टीस
**

सोमवार, 6 अप्रैल 2020

त्वरित प्रतिक्रिया कृष्ण-मृग हत्याकांड

त्वरित प्रतिक्रिया
कृष्ण-मृग हत्याकांड
*
मुग्ध हुई वे हिरन पर, किया न मति ने काम।
हरण हुआ बंदी रहीं, कहा विधाता वाम ।।
*
मुग्ध हुए ये हिरन पर, मिले गोश्त का स्वाद।
सजा हुई बंदी बने, क्यों करते फ़रियाद?
*
देर हुई है अत्यधिक, नहीं हुआ अंधेर।
सल्लू भैया सुधरिए, अब न कीजिए देर।।
*
हिरणों की हत्या करी, चला न कोई दाँव।
सजा मिली तो टिक नहीं, रहे जमीं पर पाँव।।
*
नर-हत्या से बचे पर, मृग-हत्या का दोष।
नहीं छिप सका भर गया, पापों का घट-कोष।।
*
आहों का होता असर, आज हुआ फिर सिद्ध।
औरों की परवा करें, नर हो बनें न गिद्ध।।
*
हीरो-हीरोइन नहीं, ख़ास नागरिक आम।
सजा सख्त हो तो मिले, सबक भोग अंजाम ।।
*
अब तक बचते रहे पर, न्याय हुआ इस बार।
जो छूटे उन पर करे, ऊँची कोर्ट विचार।।
*
फिर अपील हो सभी को, सख्त मिल सके दंड।
लाभ न दें संदेह का, तब सुधरेंगे बंड।।
*
न्यायपालिका से विनय करें न इतनी देर।
आम आदमी को लगे, होता है अंधेर।।
*
सरकारें जागें न दें, सुविधा कोई विशेष।
जेल जेल जैसी रहे, तनहा समय अशेष।।
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६-४-२०१८

गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

slman khan ko saja

त्वरित प्रतिक्रिया
कृष्ण-मृग हत्याकांड
*
मुग्ध हुई वे हिरन पर, किया न मति ने काम।
हरण हुआ बंदी रहीं, रहे विधाता वाम ।।
*
मुग्ध हुए ये हिरन पर, मिले गोश्त का स्वाद।
सजा हुई बंदी बने, क्यों करते फ़रियाद?
*
देर हुई है अत्यधिक, नहीं हुआ अंधेर।
सल्लू भैया सुधरिए, अब न कीजिए देर।।
*
हिरणों की हत्या करी, चला न कोई दाँव।
सजा मिली तो टिक नहीं, रहे जमीं पर पाँव।।
*
नर-हत्या से बचे पर, मृग-हत्या का दोष।
नहीं छिप सका भर गया, पापों का घट-कोष।।
*
आहों का होता असर, आज हुआ फिर सिद्ध।
औरों की परवा करें, नर हो बनें न गिद्ध।।
*
हीरो-हीरोइन नहीं, ख़ास नागरिक आम।
सजा सख्त हो तो मिले, सबक भोग अंजाम ।।
*
अब तक बचते रहे पर, न्याय हुआ इस बार।
जो छूटे उन पर करे, ऊँची कोर्ट विचार।।
*
फिर अपील हो सभी को, सख्त मिल सके दंड।
लाभ न दें संदेह का, तब सुधरेंगे बंड।।
*
न्यायपालिका से विनय करें न इतनी देर।
आम आदमी को लगे, होता है अंधेर।।
*
सरकारें जागें न दें, सुविधा कोई विशेष।
जेल जेल जैसी रहे, तनहा समय अशेष।।
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शुक्रवार, 8 मई 2015

navgeet: sanjiv

नवगीत:
संजीव 
*
जो 'फुट' पर चलते 
पलते हैं 'पाथों' पर 
उनका ही हक है सारे 
'फुटपाथों' पर 
*
बेलाइसेंसी कारोंवालों शर्म करो 
मदहोशी में जब कोई दुष्कर्म करो 
माफी मांगों, सजा भोग लो आगे आ 
जिनको कुचला उन्हें पाल कुछ धर्म करो 
धन-दौलत पर बहुत अधिक इतराओ मत 
बहुत अधिक मोटा मत अपना चर्म करो 
दिन भर मेहनत कर 
जो थककर सोते हैं 
पड़ते छाले उनके 
हाथों-पांवों पर 
जो 'फुट' पर चलते 
पलते हैं 'पाथों' पर 
उनका ही हक है सारे 
'फुटपाथों' पर 
*
महलों के अंदर रहकर तुम ऐश करो 
किसने दिया तुम्हें हक़ ड्राइविंग रैश करो 
येन-केन बचने के लिये वकील लगा 
झूठे लाओ गवाह खर्च नित कैश करो 
चुल्लू भर पानी में जाकर डूब मारो 
सत्य-असत्य कोर्ट में मत तुम मैश करो 
न्यायालय में न्याय 
तनिक हो जाने दो 
जनगण क्यों चुप्पी 
साधे ज़ज़्बातों पर 
जो 'फुट' पर चलते 
पलते हैं 'पाथों' पर 
उनका ही हक है सारे 
'फुटपाथों' पर 
*
स्वार्थ सध रहे जिनके वे ही संग जुटे 
उनकी सोचो जिनके जीवन-ख्वाब लुटे 
जो बेवक़्त बोलते कड़वे बोल यहाँ 
जनता को मिल जाएँ अगर बेभाव कुटें 
कहे शरीयत जान, जान के बदले दो 
दम है मंज़ूर करो, मसला सुलटे 
हो मासूम अगर तो 
माँगो दण्ड स्वयं 
लज्जित होना सीखो 
हुए गुनाहों पर 
जो 'फुट' पर चलते 
पलते हैं 'पाथों' पर 
उनका ही हक है सारे 
'फुटपाथों' पर 

गुरुवार, 7 मई 2015

DOHA SALILA: SANJIV

दोहा सलिला:
संजीव, सलमान खान 
.
सजा सुनी तो हो गये, तुरत रुँआसे आप
रूह न कापी जब किये, हे दबंग! नित पाप
.
उनका क्या ली नशे में, जिनकी पल में जान
कहे शरीअत आपकी, वे भी ले लें जान
.
नायक ने नाटक किया, मिलकर मिली न जेल
मेल व्यवस्था से हुआ, खेल हो गयी बेल
.
गायक जिसको पूछता, नहीं कोई भी आज 
 दे बयान यह चाहता, फिर से पा ले काज
.
नायक-गायक को सुला, फुटपाथों पर रोज
कुछ कारें भिजवाइये, दे कुत्तों को भोज
.
जिसने झूठी साक्ष्य दी, उस पर भी हो वाद
दंड वकीलों को मिले,  किया झूठ परिवाद
.
टेर रहे काले हिरन, करो हमारा न्याय
जां के बदल जां मिले, बंद करो अन्याय
***

jangeet: haan beta -sanjiv

जनगीत : 
हाँ बेटा 
संजीव, नवगीत, सलमान खान, 

चंबल में 
डाकू होते थे
हाँ बेटा!
.
लूट किसी को
मार किसी को
वे सोते थे?
हाँ बेटा!
.
लुटा किसी पर
बाँट किसी को
यश पाते थे?
हाँ बेटा!
.
अख़बारों के
कागज़ उनसे
रंग जाते थे?
हाँ बेटा!
.
पुलिस और
अफसर भी उनसे
भय खाते थे?
हाँ बेटा!
.
केस चले तो
विटनेस डरकर
भग जाते थे?
हाँ बेटा!
.
बिके वकील
झूठ को ही सच
बतलाते थे?
हाँ बेटा!
.
सब कानून
दस्युओं को ही
बचवाते थे?
हाँ बेटा!
.
चमचे 'डाकू की
जय' के नारे
गाते थे?
हाँ बेटा!
.
डाकू फिल्मों में
हीरो भी
बन जाते थे?
हाँ बेटा!
.
भूले-भटके
सजा मिले तो
घट जाती थी?
हाँ बेटा!
.
मरे-पिटे जो
कहीं नहीं
राहत पाते थे?
हाँ बेटा!
.
अँधा न्याय
प्रशासन बहरा
मुस्काते थे?
हाँ बेटा!
.
मानवता के
निबल पक्षधर
भय खाते थे?
हाँ बेटा!
.
तब से अब तक
वहीं खड़े हम
बढ़े न आगे?
हाँ बेटा!
.

बुधवार, 6 मई 2015

navgeet: sanjiv

एक रचना:
संजीव 
जैसा किया है तूने 
वैसा ही तू भरेगा
कभी किसी को धमकाता है 
कुचल किसी को मुस्काता है 
दुर्व्यवहार नायिकाओं से 
करता, दानव बन जाता है 
मार निरीह जानवर हँसता  

​कभी न किंचित शर्माता है 

बख्शा नहीं किसी को 

कब तक बोल बचेगा 


​सौ सुनार की भले सुहाये  

एक लुहार जयी हो जाए  

अगर झूठ पर सच भारी हो 

बददिमाग रस्ते पर आये 

चक्की पीस जेल में जाकर 

ज्ञान-चक्षु शायद खुल जाए 

साये से अपने खुद ही 

रातों में तू डरेगा 

**