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शनिवार, 14 नवंबर 2020

बाल मुक्तिका बिटिया छोटी

बाल रचना 
बिटिया छोटी 
*
फ़िक्र बड़ी पर बिटिया छोटी 
क्यों न खेलती कन्ना-गोटी?
*
ऐनक के चश्में से आँखें 
झाँकें लगतीं मोटी-मोटी 
*
इतनी ज्यादा गुस्सा क्यों है?
किसने की है हरकत खोटी 
*
दो-दो फूल सजे हैं प्यारे 
सर पर सोहे सुंदर चोटी 
*
हलुआ-पूड़ी इसे खिलाओ 
तनिक न भाती इसको रोटी 
*
खेल-कूद में मन लगता है
नहीं पढ़ेगी पोथी मोटी 
***

गुरुवार, 14 जून 2012

बाल मुक्तिका: हरियल तोता --संजीव 'सलिल'



बाल मुक्तिका:
हरियल तोता
संजीव 'सलिल'
*

*
सबका प्यारा हरियल तोता.
चुग्गा चुगता खुशियाँ बोता..



आसमान में उड़ते तोते
देख-देख मन ही मन रोता..



पिंजरे में सिर पटक-पटककर
अमन-चैन, सुध-बुध भी खोता..



नासमझी कर पलट कटोरी
पानी की- प्यासा ही सोता..



सुबह-सुबह जग राम-राम कह
सबको सुख देकर खुश होता..



भीगे चने मिर्च ताज़ा फल
रुच-रुच खाता ज्यों हो न्योता..



गर्मी लगती पंख भिगाता
फिर फैला पर सुखा-निचोता..



हीरामन को दिखती मैना.
नैन लड़ाता, दिल भी खोता..

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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
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