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सोमवार, 3 अगस्त 2020

नवगीत बारिश

नवगीत 
बारिश 
*
बारिश तो अब भी होती है
लेकिन बच्चे नहीं खेलते.
*
नाव बनाना
कौन सिखाये?
बहे जा रहे समय नदी में.
समय न मिलता रिक्त सदी में.
काम न कोई
किसी के आये.
अपना संकट आप झेलते
बारिश तो अब भी होती है
लेकिन बच्चे नहीं खेलते.
*
डेंगू से भय-
भीत सभी हैं.
नहीं भरोसा शेष रहा है.
कोइ न अपना सगा रहा है.
चेहरे सबके
पीत अभी हैं.
कितने पापड विवश बेलते
बारिश तो अब भी होती है
लेकिन बच्चे नहीं खेलते.
*
उतर गया
चेहरे का पानी
दो से दो न सम्हाले जाते
कुत्ते-गाय न रोटी पाते
कहीं न बाकी
दादी-नानी.
चूहे भूखे दंड पेलते
बारिश तो अब भी होती है
लेकिन बच्चे नहीं खेलते.
*
salil.sanjiv@gmail.com
#दिव्यनर्मदा
divyanarmada.blogspot.com
#हिंदी_ब्लॉगर

शनिवार, 3 अगस्त 2019

नवगीत - बारिश

नवगीत 
*
बारिश तो अब भी होती है 
लेकिन बच्चे नहीं खेलते. 
*
नाव बनाना 
कौन सिखाये?
बहे जा रहे समय नदी में.
समय न मिलता रिक्त सदी में.
काम न कोई
किसी के आये.
अपना संकट आप झेलते
बारिश तो अब भी होती है
लेकिन बच्चे नहीं खेलते.
*
डेंगू से भय-
भीत सभी हैं.
नहीं भरोसा शेष रहा है.
कोई न अपना सगा रहा है.
चेहरे सबके
पीत अभी हैं.
कितने पापड विवश बेलते
बारिश तो अब भी होती है
लेकिन बच्चे नहीं खेलते.
*
उतर गया
चेहरे का पानी
दो से दो न सम्हाले जाते
कुत्ते-गाय न रोटी पाते
कहीं न बाकी
दादी-नानी.
चूहे भूखे दंड पेलते
बारिश तो अब भी होती है
लेकिन बच्चे नहीं खेलते.
*
salil.sanjiv@gmail.com
#दिव्यनर्मदा 

बुधवार, 1 अप्रैल 2009

तसलीस (उर्दू त्रिपदी) अज़ीज़ अहमद अंसारी, इंदौर


सब नज़ारे दिखाई देते हैं
मुझको छोटे से अपने इस घर में
चाँद तारे दिखाई देते हैं.

आप अपना जवाब होते हैं
जिनमें होती है दूरअंदेशी
वो सदा कामयाब होते हैं.

प्यार में अब यकीं नहीं मिलता
जिस्म ही आदमी का मिलता है
जिस्म में दिल कहीं नहीं मिलता.

क्या ये आँखों को खोलता भी है?
तुमने पूछा था पहले दिन मुझसे
अब वो तुतला के बोलता भी है.

जो मिले उसके संग होती है
जिंदगानी 'अज़ीज़' बच्चों सी
जैसे पानी का रंग होती है.

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