सरस्वती स्तवन
बृज
*
मातु! सुनौ तुम आइहौ आइहौ,
काव्य कला हमकौ समुझाइहौ
फेर कभी मुख दूर न जाइहौ
गीत सिखाइहौ, बीन बजाइहौ
श्वेत वदन है, श्वेत वसन है
श्वेत लै वाहन दरस दिखाइहौ
छंद सिखाइहौ, गीत सुनाइहौ,
ताल बजाइहौ, वाह दिलाइहौ
***
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
बृज सरस्वती लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बृज सरस्वती लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रविवार, 22 नवंबर 2020
सरस्वती स्तवन बृज
चिप्पियाँ Labels:
बृज सरस्वती,
सरस्वती बृज
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)