:
* चित्रगुप्त जयंती पर विशेष भजन *
प्रभु तेरी महिमा अपरंपार
संजीव
वर्मा 'सलिल'
प्रभु तेरी महिमा अपरंपार...
*
तू सर्वज्ञ व्याप्त कण-कण में,
कोई न तुझको जाने.
अनजाने ही सारी दुनिया
इष्ट तुम्हें ही माने.
तेरी दया-दृष्टि का पाया
कोई न पारावार...
*
हर दीपक में ज्योति तिहारी,
हरती है अँधियारा.
हर परवाना जल जी जाता,
पा तेरा उजियारा.
आये कहाँ से?, जाएं कहाँ हम??
कैसे हो उद्धार?...
*
कण-कण में है बिंब तुम्हारा,
गुप्त चित्र अनदेखा.
चित्रगुप्त कहती है दुनिया
चित्र-गुप्त अनलेखा.
निराकार हो तुम, लेकिन हम
पूज रहे साकार...
***
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तू सर्वज्ञ व्याप्त कण-कण में,
कोई न तुझको जाने.
अनजाने ही सारी दुनिया
इष्ट तुम्हें ही माने.
तेरी दया-दृष्टि का पाया
कोई न पारावार...
*
हर दीपक में ज्योति तिहारी,
हरती है अँधियारा.
हर परवाना जल जी जाता,
पा तेरा उजियारा.
आये कहाँ से?, जाएं कहाँ हम??
कैसे हो उद्धार?...
*
कण-कण में है बिंब तुम्हारा,
गुप्त चित्र अनदेखा.
चित्रगुप्त कहती है दुनिया
चित्र-गुप्त अनलेखा.
निराकार हो तुम, लेकिन हम
पूज रहे साकार...
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