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रविवार, 29 अप्रैल 2018

श्री श्री चिंतन ४: आदतें दुर्गुण shri shri chintan 4 adaten durgun

श्री श्री चिंतन: ४
आदतें- दुर्गुण
३.४.१९९७, ऋषिकेश
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दुर्गुण हटा न सको तो, जाओ उनको भूल।
क्रोध; कामना; अहं; दुख, मद को मत दो तूल।।
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तुच्छ कारणों पर कहो, क्यों होते नाराज?
ब्रम्ह; इष्ट; रब; गुरु; खुदा, से हो रुष्ट सकाज।।
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अहंकार से तुम अगर, हो न पा रहे मुक्त।
परमेश्वर हैं तुम्हारे, सोच रहो मद-युक्त।।
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मोह और आसक्ति को अगर न पाते छोड़।
सत के प्रति आसक्त हो, तब आएगा मोड़।।
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ईर्ष्या-सेवा के लिए, करो द्वेष से द्वेष।
दिव्य हेतु मदहोश हो, गुरु से राग अशेष।।
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१४.४.२०१८
७९९९५५९६१८, salil.sanjiv@gmail.com
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