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बुधवार, 25 मई 2016

दोहा

दोहा सलिला :
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अक्षर अजर अमर असित, अजित अतुल अमिताभ 
अकत अकल अकलक अकथ, अकृत अगम अजिताभ 
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आप आब आनंदमय, आकाशी आल्हाद 
आक़ा आक़िल अजगबी, आज्ञापक आबाद 
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इक्षवाकु इच्छुक इरा, इर्दब इलय इमाम 
इड़ा इदंतन इदंता, इन इब्दिता इल्हाम 
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ईक्षा ईक्षित ईक्षिता, ई ईड़ा ईजान 
ईशा ईशी ईश्वरी, ईश ईष्म ईशान 
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उत्तम उत्तर उँजेरा, उँजियारी उँजियार 
उच्छ्वासित  उज्जवल उतरु,  उजला उत्थ उकार
ऊजन ऊँचा ऊजरा, ऊ ऊतर ऊदाभ 
ऊष्मा ऊर्जा ऊर्मिदा, ऊर्जस्वी ऊ-आभ 
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एकाकी एकाकिनी, एकादश एतबार 
एषा एषी एषणा, एषित एकाकार
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ऐश्वर्यी ऐरावती, ऐकार्थ्यी ऐकात्म्य
ऐतरेय ऐतिह्यदा, ऐणिक ऐंद्राध्यात्म 
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ओजस्वी ओजुतरहित, ओंकारित ओंकार 
ओल ओलदा ओबरी, ओर ओट ओसार
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औगत औघड़ औजसिक, औत्सर्गिक औचिंत्य
औंगा औंगी औघड़ी, औषधीश औचित्य
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अंक अंकिकी आंकिकी, अंबरीश अंबंश  
अंहि अंशु अंगाधिपी, अंशुल अंशी अंश 
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