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सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

स्मरण अमृतलाल वेगड़

स्मरण
अमृतलाल वेगड़
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नर्मदा संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले अमृतलाल वेगड़ का जन्म ३ अक्टूबर १९२८ को जबलपुर में हुआ। १९४८ से १९५३ तक शांतिनिकेतन में उन्होंने कला का अध्ययन किया। वेगड़ जी ने नर्मदा की पूरी परिक्रमा कर  नर्मदा पदयात्रा वृत्तांत पर चार किताबें लिखीं हैं। 'सौंदर्य की नदी नर्मदा', 'अमृतस्य नर्मदा' और 'तीरे-तीरे नर्मदा' के बाद चौथी किताब 'नर्मदा तुम कितनी सुंदर हो' २०१५ में प्रकाशित हुई ।ये हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगला अंग्रेजी और संस्कृत में भी प्रकाशित हुई हैं। 

वेगड़ गुजराती और हिंदी में साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार जैसे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हुए थे। वे उन चित्रकारों और साहित्यकारों में से थे, जिन्होंने नर्मदा की चार हज़ार किमी की पदयात्रा की और नर्मदा अंचल में फैली बेशुमार जैव विविधता से दुनिया को वाक़िफ कराया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए उल्लेखनीय काम किया। अमृतलाल वेगड़ चित्रकार, शिक्षक, समाजसेवी साहित्यकार, पर्यावरणविद् सहित कई प्रतिभाओं के धनी रहे। साधारण पथिक के रूप में नर्मदा परिक्रमा शुरू की और धीरे-धीरे ‘नर्मदा पुत्र’ बन गए। वे कहते थे- ‘कोई वादक बजाने से पहले देर तक अपने साज के सुर मिलाता है, उसी प्रकार हम इस जनम में नर्मदा मैया के सुर मिलाते रहे, परिक्रमा तो अगले जनम में करेंगे’। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा दो बार पूरी की। पहली बार १९७७ में, जब वे ५० वर्ष के हुए थे और दूसरी बार २००२ में जब उन्होंने ७५ साल पूरे किए थे। ९० वर्ष की उम्र में ६ जुलाई २०१८ को वेगड़ जी का देहावसान हुआ।
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