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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

नवगीत

नवगीत -
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हल्ला-गुल्ला,
शोर-शराबा,
मस्ती-मौज। 
खेल-कूद,
मनरंजन,
डेटिंग करती फ़ौज। 
लेना-देना,
बेच-खरीदी,
कर उपभोग,
नेता-टी.व्ही.
कहते जीवन-लक्ष्य यही। 
कोई न कहता
लगन-परिश्रम,
कर कोशिश। 
संयम-नियम,
आत्म अनुशासन,
राह वरो। 
तज उधार,
कर न्यून खर्च
कुछ बचत करो। 
उत्पादन से
मिले सफ़लता
वही करो। 
उत्पादन कर मुक्त
लगे कर उपभोगों पर। 
नहीं योग पर
रोक लगे
केवल रोगों पर। 
तब सम्भव
रावण मर जाए। 
तब सम्भव
दीपक जल पाए। 
१९-१०-२०१८ 
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