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बुधवार, 13 अक्तूबर 2021

मारवाड़ी सरस्वती वंदना

लक्ष्मण कुमार नेवटिया
जन्म - बिराटनगर, नेपाल (मूल निवास शेखावाटी राजस्थान)।
आत्मज - स्व. जयदेवी - स्व. रामस्वरूप नेवटिया।
संप्रति - स्व व्यापार टायर आटोमोबाइल्स।
प्रकाशन - 'लक्ष्मण का कुतकुति' नेपाली हास्य व्यंग्य कविता संग्रह, 'अमृत गीता' (श्रीमद्भगवद्गीता का हिन्दी पद्यानुवाद), 'समाज के गीत', 'थोपा थोपा जिन्दगी' हाइकु संग्रह, 'यो जो संग सम्बन्धित छ' लघुकथा संग्रह, नेपाली कविता संग्रह प्रथम मारवाडी अनुवाद बसन्त चौधरी कृत 'बसंत', 'अग्रभागवत' का नेपाली अनुवाद।
उपलब्धि - संयोजक हासने समाज, मोरंग, विराटनगर।
संपर्क (ठेगाना) - रंगेली रोड, बिराटनगर-९।
चलभाष - , ईमेल - nevatialk@gmail.com
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मारवाड़ी सरस्वती वंदना
भक्तवत्सल हँसवाहिनी
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भक्तवत्सल हंसवाहिनी! तूं है करुणा निधान
बलिहारी म्हैं आपकी, शरण में मांगु वास,
भटक्यो घणो हूं थाकगो,एक है थारी आश,
कुबुद्धी म्हारी मिटाय दे,भर कै ज्ञान सुवास,
छवी न्यारी श्वेताम्बरी, चरण पड्यो है दास।
म्हैं सब रचणाकार की,आप सूं ई है पेचाण,
कोई न दाता जगत में, विणावादिनी समान,
गावै चाव सूं चहूं दिशा,आपको मंगल गान,
विपदा मिनटां में मिटै, धर्यां आपको ध्यान।
कृपा माँ की हुणै सूं,बणज्या बिगड्या काम,
जगतमोहिनी रूप आपको प्रज्ञाग्राममें धाम,
बांटै ज्ञान विज्ञान माता,बिन टकै बिन दाम,
तत्त्व प्रकाशक है सदा, माँ सरस्वती को नाम।
विवेक की हो स्वामिनी,सदैव करो कल्याण,
कलम चलाइ राखज्यो,अमृत वचन लेखाण,
आंगली पकड चलाइज्यो,म्हैं तो हाँ अनजान,
चंद्रवदनि हो पद्मासिनि,कृपाकर लेवो संज्ञान।
अवसाद हरो प्रकाश भरो,विन्ती करो विचार,
अब तो करो उद्धार तम सूं,सुखद् हुवै संसार,
मंगलकारी,हितकारी माँ,आया म्हैं थारे द्वार,
टाबरियां पै उपकार करो, हरो थे म्हारो भार।
एक आस-भरोसो एक, सबको करो उत्थान,
घणा दयालु आप हो, जग कल्याण में ध्यान,
वीणा पुस्तक धारिणी माँ, शारदे देवो वरदान,
भक्त वत्सल हँसवाहिनी तूं है करुणा निधान।
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