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सोमवार, 25 अक्तूबर 2021

हाइकु गीत

अभिनव प्रयोग 
राम हाइकु 
गीत  
(छंद वार्णिक, ५-७-५)
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' 
*
बल बनिए   
निर्बल का तब ही  
मिले प्रणाम।
क्षणभंगुर 
भव सागर, कर 
थामो हे राम।।
*
सुख तजिए / निर्बल की खातिर / दुःख सहिए।
मत डरिए / विपदा - आपद से / हँस लड़िए।।
सँग रहिए  
निषाद, शबरी के 
सुबहो-शाम।
क्षणभंगुर 
भव सागर, कर 
थामो हे राम।। 
मार ताड़का / खर-दूषण वध / लड़ करिए। 
तार अहल्या / उचित नीति पथ / पर चलिए।।
विवश रहे 
सुग्रीव-विभीषण
कर लें थाम। 
क्षणभंगुर 
भव सागर, कर 
थामो हे राम।।
*
सिय-हर्ता के / प्राण हरण कर / जग पुजिए।
आस पूर्ण हो / भरत-अवध की / नृप बनिए।।
त्रय माता, चौ  
बहिन-बंधु, जन
जिएँ अकाम। 
क्षणभंगुर 
भव सागर, कर 
थामो हे राम।।
*** 
२५-१०-२०२१  




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