कुल पेज दृश्य

रविवार, 17 अक्तूबर 2021

मुक्तिका

मुक्तिका
आपकी मर्जी
*
आपकी मर्जी नमन लें या न लें
आपकी मर्जी नहीं तो हम चलें
*
आपकी मर्जी हुई रोका हमें
आपकी मर्जी हँसीं, दीपक जलें
*
आपकी मर्जी न फर्जी जानते
आपकी मर्जी सुबह सूरज ढलें
*
आपकी मर्जी दिया दिल तोड़ फिर
आपकी मर्जी बनें दर्जी सिलें
*
आपकी मर्जी हँसा दे हँसी को
आपकी मर्जी रुला बोले 'टलें'
*
आपकी मर्जी, बिना मर्जी बुला
आपकी मर्जी दिखा ठेंगा छ्लें
*
आपकी मर्जी पराठे बन गयी
आपकी मर्जी चलो पापड़ तलें
*
आपकी मर्जी बसा लें नैन में
आपकी मर्जी बनें सपना पलें
*
आपकी मर्जी, न मर्जी आपकी
आपकी मर्जी कहें कलियाँ खिलें
***
संजीव, १६.१०.२०१८
७९९९५५९६१८

कोई टिप्पणी नहीं: