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रविवार, 24 अक्तूबर 2021

हिंदुस्तान, भारत

हिन्दुस्तान

नाम से ही देश की पहचान होना चाहिए
अपने देश का नाम हिंदुस्तान होना चाहिए

इंडिया, भारत, भारतवर्ष, ठीक हैं ये सभी
लेकिन शब्द से जगह का भान होना चाहिए

गर्व का अनुभव करें, लोग सुन कर के जिसे
देश वासी के हृदय में शान होना चाहिए

नाम से ही विश्व सारा राष्ट्र को पहचान ले
नाम से ही राष्ट्र का कुछ ज्ञान होना चाहिए

हिन्द है ये, निवासी, हिंदी हैं सब यहाँ के
हिंदी हैं हम वतन हिंदुस्तान होना चाहिए।।
***

मैं भारत हूँ
विनीता श्रीवास्तव
सूरज बनकर सारे जग का तमस मिटाऐगा-
सूरज बनकर सारे जग का तमस मिटाएगा
विश्व गुरू भारत ही सबको राह दिखाएगा।।

महाशक्तियाँ नतमस्तक हैं, अनुसंधान हुए हैं घायल।
घुटने टेक दिए हैं जग ने, मृत्यु सामने खड़ी अमंगल।।
सन्नाटों का कवच चीरकर भारत जागेगा।

कदम -कदम पर अँधियारे के अजगर डेरा डाले छिपकर,
आओ दीप जलाएँ पथ में, तम को दूर भगाएँ मिलकर।
सत्य ,अहिंसा नैतिकता की गीता गाएगा

धर्म-जाति या वर्ग भेद को मानवता से परिष्कार कर
ज्ञान और ,विज्ञान ,सनातन संस्कृति,मर्यादा के बल पर
अपनी मंजिल पर उन्नति के ध्वज फहराएगा।
***
डॉ. संतोष शुक्ला, ग्वालियर, म.प्र.

शिव शंकर का डमरू कहता मैं भारत हूँ। 
विष्णुजी का चक्र भी कहता मैं भारत हूँ।।
 
कान्हा की बंशी बज कहती मैं भारत हूँ। 
राम धनुष की टंकार कहती मैं भारत हूँ।।

हिमगिरि की चोटी भी कहती मैं भारत हूँ। 
नदियों की कल-कल कहती मैं भारत हूँ।।
   
झरनों की झर-झर कहती मैं भारत हूँ। 
पेड़ो की है सर-सर कहती मैं  भारत हूँ।।

खेतों की खड़ी फसल कहती मैं भारत हूँ।
प्रकृति की हर नसल कहती मैं भारत हूं।।

आम बौरा कर है बतलाता मैं भारत हूँ। 
सैनिक शहीद हो बतलाता मैं भारत हूं।।

भँवरों की गुन-गुन कहती मैं भारत हूँ। 
तितली की थिरकन कहती मैं भारत हूँ।। 

उत्ताल तरंगें सागर की कहें मैं भारत हूँ। 
मेघों की गर्जना भी कहती मैं भारत हूँ।।

कहे चमक चमक कर चपला मैं भारत हूँ।
दादुर की टर-टर कहती है मैं भारत हूँ।।

पृथ्वी का कण-कण है कहता मैं भारत हूँ।
पर्ण-पर्ण भी यही है कहता मैं भारत हूँ।।

सूर्य की रश्मि रश्मि कह रही मैं भारत हूँ। 
चंद्र-किरणें भी यही हैं कहती मैं भारत हूँ।
***


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