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सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

संगोष्ठी

विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर
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प्रकाशनार्थ समाचार 




तरुण गीत गौरव अलंकरण से विनोद निगम अलंकृत

                  जबलपुर, १८-१०-२०२१। विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर द्वारा हिंदी के श्रेष्ठ-ज्येष्ठ गीत-नवगीतकार श्री विनोद निगम को नर्मदांचल के ख्यात गीतकार स्व. जवाहरलाल चौरसिया 'तरुण' की स्मृति में स्थापित प्रथम 'तरुण गीत गौरव' अलंकरण से अलंकृत किया गया। संस्थान के सभापति आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', अध्यक्ष बसंत शर्मा, सांस्कृतिक सचिव अस्मिता शैली ने श्रीनिगम को यह अलंकरण तथा ५१००/- की राशि भेंट की। इस अवसर पर श्री जयप्रकाश श्रीवास्तव, श्री हरिसहाय पाण्डे, डॉ. मुकुल तिवारी, सुरेंद्र सिंह पवार, आचार्य भागवत दुबे, रमाशंकर खरे, , मनोज जैन, नरेंद्र चौहान तथा अन्य साहित्यकारों ने विनोद जी को हार्दिक बधाई देते हुए उनसे निरंतर योगदान कर हिंदी साहित्य को समृद्ध करते रहने का अनुरोध किया। संस्कारधानी की लाड़ली प्रतिभा अस्मिता शैली ने एक पेंटिंग तथा सुसज्जित जूट थैला भेंट किया।  

                  श्री विनोद निगम ने स्व. तरुण जी को स्मरण करते हुए उनके साथ अपने सुदीर्घ और आत्मीय संबंधों की चर्चा करते हुए, उनकी स्मृति में स्थापित अलंकरण को अपनी विशिष्ट उपलब्धि निरूपित करते हुए, नवगीतों के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डाला। नर्मदांचल में नवगीत की सृजन सलिला  निरंतर गति देने के लिए विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर की सराहना करते हुए वक्ता ने संस्कारधानी के नवगीतकारों जयप्रकाश श्रीवास्तव, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', बसंत शर्मा आदि के योगदान को उल्लेखनीय निरूपित किया। श्री बसंत शर्मा ने डॉ. यायावर द्वारा प्रकाशित नवगीत कोष में नगर के नवगीतकारों के उल्लेख को गौरव का विषय निरूपित किया। 

गीत-नवगीत कृति 'ओ मेरी तुम' लोकार्पित 

                  इस पूर्व आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' के गीत-नवगीत संग्रह 'ओ मेरी तुम' का लोकार्पण श्री विनोद निगम, श्री जयप्रकाश श्रीवास्तव तथा आचार्य भागवत दुबे ने किया। साहित्य संस्कार पत्रिका के संपादक इंजी. सुरेंद्र पवार ने कृति की समीक्षा करते हुए सलिल जी की गीत सृजन साधना के विविध पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा- 'इन गीतों नवगीतों में जहाँ एक ओर संक्षिप्तता है, बेधकता है, स्पष्टता है, सहजता-सरलता है, वहीं दूसरी ओर मृदुल हास-परिहास है, नोक-झोंक है, रूठना-मनाना है। संग्रह के गीतों -नवगीतों की भाषा में देशज शब्द और मुहावरे यथा तन्नक, मटकी, फुनिया, सुड़की, करिया, हिरा गए, के प्रयोग से उत्पन्न किया गया टटकापन विशिष्ट है।' सुधी वक्ता ने सोदाहरण सदी लोकार्पित संग्रह की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।  

                  समीक्षा स्तर के अंतर्गत पाठक मंच गढ़ा जबलपुर के तत्वावधान में स्मृतिशेष साहित्यकार नरेंद्र कोहली जी के उपन्यास 'शरणम' की सारगर्भित समीक्षा सृजन साधना पत्रिका के संपादक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने प्रस्तुत की। 'हिन्दी साहित्य में ''महाकाव्यात्मक उपन्यास' की विधा को पुनर्प्रतिष्ठित करने का श्रेय नरेंद्र कोहली जी को ही जाता है। पौराणिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों की गुत्थियों को सुलझाते हुए उनके माध्यम से आधुनिक समाज की समस्याओं एवं उनके समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना कोहली की अन्यतम विशेषता है। कोहलीजी सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एवं दर्शन का सम्यक् परिचय करवाया है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी प्रणीत पौराणिक आख्यानों को औपन्यासिक रूप देने के परंपरा में 'शरणम' उपन्यास प्रस्तुत कर कोहली जी ने यथार्थ और कल्पना का सम्यक सम्मिश्रण इस तरह प्रस्तुत किया है की न तो पुनरावृत्ति हो, न विश्वनीयता प्रभावित हो' कहते हुए सलिल जी ने विविध पहलुओं पर गवेषणापूर्ण चर्चा की। 

                  कश्मीर से  विस्थापित कवि अग्निशेखर के काव्य संग्रह 'जलता हुआ पल' की समीक्षा करते हुए श्री रमाशंकर खरे ने इसे 'जलावतन' से निसृत मानवीय संवेदनाओं का जीवंत मर्मस्पर्शी दस्तावेज बताया। 

अंतिम चरण में श्री बसंत शर्मा के कुशल संचालन में श्री विनोद निगम, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', आचार्य भगवत दुबे, जयप्रकाश श्रीवास्तव, बसंत शर्मा, हरिसहाय पाण्डे, अस्मिता शैली, डॉ. मुकुल तिवारी, सुरेंद्र सिंह पवार, मनोज जैन  रचना पाठ किया। आभार प्रदर्शन श्री ह्री सहाय पांडे ने किया। 
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साहित्य-समीक्षा संगोष्ठी 
दिनांक - १८ अक्टूबर २०२१, सोमवार, समय सायं ५ बजे से 
स्थान - कक्ष क्र. १०८, नीलांबरी विश्राम गृह, 
निकट रेलवे स्टेशन प्लेफॉर्म क्रमांक १, जबलपुर। 
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मुख्य अतिथि - श्री विनोद निगम जी, होशंगाबाद   
(विख्यात गीत-नवगीतकार)



अध्यक्ष - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' 
संस्थापक-सभापति विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर। 
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कार्यक्रम 
समीक्षा सत्र- 
स्मृतिशेष नरेंद्र कोहली जी कृत उपन्यास  'शरणम्' 
समीक्षाकार - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'    
श्री अग्निशेखर की काव्य कृति 'जलता हुआ पुल'  
समीक्षाकार - श्री रामशंकर खरे    
विमोचन सत्र -  ओ मेरी तुम, गीत संग्रह। 
समीक्षा - श्री सुरेंद्र सिंह पवार।  
विमर्श सत्र - विषय : नवगीत में राष्ट्रीयता और नवनिर्माण। 
रचना पाठ सत्र- संचालन श्री बसंत शर्मा।
आभार - श्री हरिसहाय पांडे।  

आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है। 
बसंत शर्मा                         सुरेंद्र सिंह पवार 
अध्यक्ष अभियान               संयोजक पाठक मंच  

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