द्विपदियाँ, शे'र
इस दिल की बेदिली का आलम न पूछिए
तूफ़ान सह गया मगर क़तरे में बह गया
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दिलदारों की इस बस्ती में दिलवाला बेमौत मारा
दिल के सौदागर बन हँसते मिले दिलजले हमें यहाँ
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दिल पर रीझा दिल लेकिन बिल देख नशा काफूर हुआ
दिए दिवाली के जैसे ही बुझे रह गया शेष धुँआ
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दिलकश ने ही दिल दहलाया दिल ले कर दिल नहीं दिया
बैठ है हर दिल अज़ीज़ ले चाक गरेबां नहीं सिया
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३०-१०-२०१४
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