*सरस्वती वंदना*
ईसुरी
मोदी खबर शारदा लइयो ,
खबर बिराजी रइये।
मैं अपडा अच्छर ना जानौ,
भूली कड़ी मिलाइये ।।
***
-- मधु कवि
टेर यो मधु ने जब जननी कहि,
है अनुरक्त सुभक्त अधीना।
पांच प्यादे प्रमोद पगी चली
हे सहु को निज संग न लीना।
धाय के आय गई अति आतुर
चार भुजायो सजाय प्रवीना
एक में पंकज एक में पुस्तक
एक में लेखनी एक में वीना ।।
***
- संजीव 'सलिल'
*मुक्तिका*
*
विधि-शक्ति हे!
तव भक्ति दे।
लय-छंद प्रति-
अनुरक्ति दे।।
लय-दोष से
माँ! मुक्ति दे।।
बाधा मिटे
वह युक्ति दे।।
जो हो अचल
वह भक्ति दे।
****
*मुक्तक*
*
शारदे माँ!
तार दे माँ।।
छंद को नव
धार दे माँ।।
****
हे भारती! शत वंदना।
हम मिल करें नित अर्चना।।
स्वीकार लो माँ प्रार्थना-
कर सफल छांदस साधना।।
*
माता सरस्वती हो सदय।
संतान को कर दो अभय।।
हम शब्द की कर साधना-
हों अंत में तुझमें विलय।।
****
प्रभाती
*
टेरे गौरैया जग जा रे!
मूँद न नैना, जाग शारदा
भुवन भास्कर लेत बलैंया
झट से मोरी कैंया आ रे!
ऊषा गुइयाँ रूठ न जाए
मैना गाकर तोय मनाए
ओढ़ रजैया मत सो जा रे!
टिट-टिट करे गिलहरी प्यारी
धौरी बछिया गैया न्यारी
भूखा चारा तो दे आ रे!
पायल बाजे बेद-रिचा सी
चूड़ी खनके बने छंद भी
मूँ धो सपर भजन तो गा रे!
बिटिया रानी! बन जा अम्मा
उठ गुड़िया का ले ले चुम्मा
रुला न आते लपक उठा रे!
अच्छर गिनती सखा-सहेली
महक मोगरा चहक चमेली
श्यामल काजल नजर उतारे
सुर-सरगम सँग खेल-खेल ले
कठिनाई कह सरल झेल ले
बाल भारती पढ़ बढ़ जा रे!
***
शत-शत नमन माँ शारदे!, संतान को रस-धार दे।
बन नर्मदा शुचि स्नेह की, वात्सल्य अपरंपार दे।।
आशीष दे, हम गरल का कर पान अमृत दे सकें-
हो विश्वभाषा भारती, माँ! मात्र यह उपहार दे।।
*
हे शारदे माँ! बुद्धि दे जो सत्य-शिव को वर सके।
तम पर विजय पा, वर उजाला सृष्टि सुंदर कर सके।।
सत्पथ वरें सत्कर्म कर आनंद चित् में पा सकें-
रस भाव लय भर अक्षरों में, छंद- सुमधुर गा सकें।।
*****
जय जय वीणापाणी
*
जय माँ सरस्वती
जय हो मैया रानी।।
नित सीस नवावा मैं
शब्दा नू मैया
तद पेंट चढावा मैं।।
तू ज्ञान दी गंगा ऐं
अखरा विच तू ही
करदी मन चंगा ऐं।।
हुण तार सानु मैया
दे असीस अपणी
दिल डोले ना मैया।।
तू हंस वराजे ऐं
हथ वीणा सोहे
मन जोत जगावे ऐं।।
जो सरण पया मैया
बेडा उसदा तू
पार लगावे मैया।।
मेरा नां तार दयो
माथे हथ रख के
एे जीव सवार दयो।।
विद्या कमल लोचने
तेरी कृपा नाल
लग गुंगा बी बोलने।।
मात उर उजास परो
ओ मात शारदे
ऐहे करम सँवारो।।
इस कलम च वास करो
साँझ दी वेनती
माई स्वीकार करो।।
संगीता गोयल "साँझ"
नोएडा
*
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021
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