कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2021

सरस्वती वंदना प्रभाती छंद पज्झटिका

सरस्वती वंदना
प्रभाती
छंद पज्झटिका, (८+s ४+s), १२१ निषिद्ध  
*
टेरे गौरैया जग जा रे!
मूँद न नैना, जाग शारदा
भुवन भास्कर लेत बलैंया
झट से मोरी कैंया आ रे!
ऊषा गुइयाँ रूठ न जाए
मैना गाकर तोय मनाए
ओढ़ रजैया मत सो जा रे!
टिट-टिट करे गिलहरी प्यारी
धौरी बछिया गैया न्यारी
भूखा चारा तो दे आ रे!
पायल बाजे बेद-रिचा सी
चूड़ी खनके बने छंद भी
मूँ धो सपर भजन तो गा रे!
बिटिया रानी! बन जा अम्मा
उठ गुड़िया का ले ले चुम्मा
रुला न आते लपक उठा रे!
अच्छर गिनती सखा-सहेली
महक मोगरा चहक चमेली
श्यामल काजल नजर उतारे
सुर-सरगम सँग खेल-खेल ले
कठिनाई कह सरल झेल ले
बाल भारती पढ़ बढ़ जा रे!
***

कोई टिप्पणी नहीं: