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मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

बाल गीत, मुक्तक

बाल गीत:
लंगडी खेलें.....
*
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
एक पैर लें
जमा जमीं पर।
रखें दूसरा
थोडा ऊपर।
बना संतुलन
निज शरीर का-
आउट कर दें
तुमको छूकर।
एक दिशा में
तुम्हें धकेलें।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
आगे जो भी
दौड़ लगाये।
कोशिश यही
हाथ वह आये।
बचकर दूर न
जाने पाए-
चाहे कितना
भी भरमाये।
हम भी चुप रह
करें झमेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....*
हा-हा-हैया,
ता-ता-थैया।
छू राधा को
किशन कन्हैया।
गिरें धूल में,
रो-उठ-हँसकर,
भूलें- झींकेगी
फिर मैया।
हर पल 'सलिल'
ख़ुशी के मेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
बालगीत
(लोस एंजिल्स अमेरिका से अपनी मम्मी रानी विशाल सहित ददिहाल-ननिहाल भारत आई नन्हीं अनुष्का के लिए २०१० में रचा गया था यह गीत)
****************
लो भारत में आई अनुष्का.
सबके दिल पर छाई अनुष्का.
यह परियों की शहजादी है.
खुशियाँ अनगिन लाई अनुष्का..
है नन्हीं, हौसले बड़े हैं.
कलियों सी मुस्काई अनुष्का..
दादा-दादी, नाना-नानी,
मामा के मन भाई अनुष्का..
सबसे मिल मम्मी क्यों रोती?
सोचे, समझ न पाई अनुष्का..
सात समंदर दूरी कितनी?
कर फैला मुस्काई अनुष्का..
जो मन भाये वही करेगी.
रोको, हुई रुलाई अनुष्का..
मम्मी दौड़ी, पकड़- चुपाऊँ.
हाथ न लेकिन आई अनुष्का..
ठेंगा दिखा दूर से हँस दी .
मन भरमा भरमाई अनुष्का..
***************
मुक्तक:
शीत है तो प्रीत भी है.
हार है तो जीत भी है.
पुरातन पाखंड हैं तो-
सनातन शुभ रीत भी है
***
छंद में ही सवाल करते हो
छंद का क्यों बवाल करते हो?
है जगत दन्द-फन्द में उलझा
छंद देकर निहाल करते हो
***
१२-१०-२०१७ 

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