माँ सरस्वती के द्वादश नाम
माँ सरस्वती के स्तोत्र, मन्त्र, श्लोक का ज्ञान न हो तो श्रद्धा सहित इन १२ नामों का १२ बार जप करना पर्याप्त है-
हंसवाहिनी बुद्धिदायिनी भारती।
गायत्री शारदा सरस्वती तारती।।
ब्रह्मचारिणी वागीश्वरी! भुवनेश्वरी!
चंद्रकांति जगती कुमुदी लो आरती।।
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शारद वंदना
१ ममता बनर्जी "मंजरी"
हंसवाहिनी शारदे,तुम्हें नमन शतबार।
विद्या के आलोक से,कर दो जग उजियार।।
विद्यादाता तू कहलाती।
अज्ञानी को पथ दिखलाती।।
तेरे दर पर जो भी आए।
वापस खाली हाथ न जाए।।
दासी तेरे द्वार की,करती विनती आज।
हे माते ममतामयी,रख लो मेरी लाज।।
शरण पड़े हम तेरे द्वारे।
झोली भर दो आज हमारे।।
कृपा करो अब मुझपर मैया।
पार लगा दो मेरी नैया।।
सुन लो माते प्रार्थना,सुन लो करुण पुकार।
रोती बिटिया मंजरी,करो आज उद्धार।।
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२ पंकज भूषण पाठक"प्रियम्
वर दे! माँ भारती तू वर दे
अहम-द्वेष तिमिर मन हर
शील स्नेह सम्मान भर दे।
वर दे! माँ शारदे तू वर दे।
बाल अबोध सुलभ मन
अविवेक अज्ञान सब हर ले
जड़ मूढ़ अबूझ सरल मन
बुद्धि विवेक विज्ञान कर् दे।
अनगढ़ अनजान अनल मन
सत्य असत्य का ज्ञान भर दे।
नव संचार विचार नव नव मन
नव प्रकाश नव विहान कर दे।
वर दे! माँ भारती तू वर दे।
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३. देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
जोय माँ सरस्वती............
जोय माँ सरोस्वती,आमरा तोमार सन्तान।
तोमार पूजोर नियमें,आमरा ओज्ञान ।
अंधकारे आछी आमरा,नेई कोनो ज्ञान।
तोमारी कृपाय होबे,आमादेर कोल्याण।
तोमार विनार आवाज़,केड़े नेय ध्यान।
तोमार हातेर बोय,बाडाय आमादेर ज्ञान।
हांस तोमार बाहोन,श्वेत बोस्त्रो पोरिधान।
आमरा चाई तोमार काछे,बुद्धि,विद्यादान।
पद्मासने शोभितो,दाउ एमोन बोरदान।
जीवन काटुक"आनंद"ए,कोरी तोमार गुणोगान।
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४ अंजुमन 'आरज़ू'
आधार छंद,-पीयूष वर्ष छंद
मापनी 2122 2122 212
सरस्वती वंदना
शारदे यश विद्या बुद्धि ज्ञान दे ।
पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे ॥
श्री कलाधारा सुनासा वरप्रदा ।
शारदा ब्राह्मी सुभद्रा श्रीप्रदा ।
भारती त्रिगुणा शिवा वागीश्वरी ।
गोमती कांता परा भुवनेश्वरी ॥1॥
पुण्य इस भारत धरा पर ध्यान दे ॥
शारदे यश विद्या बुद्धि ज्ञान दे ।
पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे ॥
ज्ञानमुद्रा पीत विमला मालिनी ।
वैष्णवी भामा रमा सौदामिनी ॥
विंध्यवासा धूम्रलोचनमर्दना।
चित्रमान्यविभूषिता पद्मासना ॥2॥
लोकहित आलोक अंशुमान दे ॥
शारदे यश विद्या बुद्धि ज्ञान दे ।
पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे ॥
चंद्रवदना चंद्रलेखविभूषिता ।
ज्ञानमुद्रा अंबिका सुरपूजिता ।
ब्रह्मजाया कालरात्रि स्वरात्मिका ।
चंद्रकांता ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ॥3॥
ज्ञान कितना है न इसका ज्ञान दे ॥
शारदे यश विद्या बुद्धि ज्ञान दे ।
पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे ॥
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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बुधवार, 6 अक्तूबर 2021
सरस्वती द्वादश नाम, सरस्वती वंदना
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