१. भ्रमर- २२ गुरु, ४ लघु=४८, श्रृंगार रस,
सांसें सांसों में समा, दो हो पूरा काज,
मेरी ही तो हो सखे, क्यों आती है लाज?
२. शरभ- २० गुरु, ८ लघु=४८, शांत रस
हँसे अंगिका-बज्जिका, बुन्देली के साथ.मिले मराठी-मालवी, उर्दू दोहा-हाथ..
३. मंडूक- १८ गुरु, १२ लघु, वीभत्स रस
हा, पशुओं की लाश को, नोचें कौए गिद्ध
हा, जनता का खून पी, नेता अफसर सिद्ध
सांसें सांसों में समा, दो हो पूरा काज,
मेरी ही तो हो सखे, क्यों आती है लाज?
२. शरभ- २० गुरु, ८ लघु=४८, शांत रस
हँसे अंगिका-बज्जिका, बुन्देली के साथ.मिले मराठी-मालवी, उर्दू दोहा-हाथ..
३. मंडूक- १८ गुरु, १२ लघु, वीभत्स रस
हा, पशुओं की लाश को, नोचें कौए गिद्ध
हा, जनता का खून पी, नेता अफसर सिद्ध
४. करभ दोहा- १६ गुरु, १६ लघु, वात्सल्य रस
छौने को दिल से लगा, हिरनी चाटे खाल
पान करा पय मनाती, चिरजीवी हो लाल
छौने को दिल से लगा, हिरनी चाटे खाल
पान करा पय मनाती, चिरजीवी हो लाल
५. पान- १० गुरु, २८ लघु, रौद्र रस शिखर कारगिल पर मचल, फड़क रहे भुजपाश
जान हथेली पर लिये, अरि को करते लाश
६. व्याल ४ गुरु, ४० लघु, भक्ति रस
पल-पल निशि-दिन सुमिर मन, नटवर गिरिधर नाम।
तन-मन-धन जड़ जगत यह, 'सलिल' न आते काम॥
जान हथेली पर लिये, अरि को करते लाश
६. व्याल ४ गुरु, ४० लघु, भक्ति रस
पल-पल निशि-दिन सुमिर मन, नटवर गिरिधर नाम।
तन-मन-धन जड़ जगत यह, 'सलिल' न आते काम॥
७. विडाल- ३ गुरु, ४२ लघु, भक्ति रस
निश-दिन शत-शत नमन कर, सुमिर-सुमिर गणराज.
चरण-कमल धरकर ह्रदय, प्रणत- सदय हो आज.
चरण-कमल धरकर ह्रदय, प्रणत- सदय हो आज.
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आचार्य संजीव वर्मा सलिल
विश्व वाणी हिंदी संस्थान
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन जबलपुर ४८२००१
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