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बुधवार, 31 जनवरी 2018

दोहा दुनिया

चंदा को लग गया है,
ग्रहण मनाएं हर्ष।
चंदा अब मत दीजिए,
तब होगा उत्कर्ष।।
*
चंद्रग्रहण को देखकर,
चंद्रमुखी हैरान।
नीली-लाल अगर हुई,
कौन सके पहचान?
*
लगा टकटकी देखते,
चंद्रमुखी को लोग।
हुई लाल-पीली बहुत,
लगा क्रोध का रोग।।
*
संसद की अध्यक्ष भू,
रवि-शशि पक्ष-विपक्ष।
अनुशासन रखती कड़ा,
धरा सभापति दक्ष।।
*
बदल रहा है चंद्रमा,
तरह-तरह के रंग।
देख-देखकर हो रहा,
गिरगिट हैरां-दंग।।
***
३१.१.२०१८, जबलपुर

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