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विश्व वाणी हिंदी संस्थान अभियान
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१
चलभाष- ९४२५१८३२४४, ईमेल- salil.sanjiv@gmail.com
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मंगल कामनाएँ
मुझे यह जानकार अतीव हर्ष की अनुभूति हो रही है कि प्रभु श्री राम की ननिहाल छत्तीसगढ़ के राष्ट्रव्यापी ख्याति प्राप्त साहित्यकार व ज्योतिषाचार्य डॉ. गीता शर्मा जी के संपादन में धान का कटोरा विशेषण से अभिषिक्त छत्तीसगढ़ प्रांत की २४ कवयित्रियों की प्रतिनिधि रचनाओं का साझा संकलन ''सृजन से शिखर तक'' प्रकाशित हो रहा है। मुझे आशा ही नहीं विश्वास है कि यह संकलन इन कवयित्रियों की सृजन यात्रा में मील का पत्थर होगा। गीताजी स्वयं श्रेष्ठ-ज्येष्ठ रचनाकार हैं। उनके मार्गदर्शन में नव पीढ़ी के रचनाकार आगे बढ़ रहे हैं यह कल्याणकारी है। विश्ववाणी हिंदी संस्थान के तत्वावधान में प्रकाशित दो साझा संकलनों ''चंद्र विजय अभियान'' (५ देश, ५२ भाषा-बोलियाँ, २१३ रचनाकार) तथा ''फुलबगिया'' (१२१ फूलों पर ७७ रचनाकारों की २७० बहुभाषी रचनाएँ) को अपनी कलम से समृद्ध कर चुकी गीता जी आगामी संकलन ''बचपन के दिन'' को भी अलंकृत कर रही हैं। ऐसी उदारता व सहयोग भाव सराहनीय है।
वर्तमान संक्रमण काल में भारतीय भाषाएँ अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं। सैंकड़ों भाषाएँ और अनेक लिपियाँ विलुप्त हो चुकी हैं और यह क्रम निरंतर जारी है। आंग्ल शिक्षाविद मैकाले प्रणीत शिक्षानीति के विषाक्त प्रभाववश हमारी नई पीढ़ी स्वदेशी भाषाओं को हीन मानकर उनके स्थान पर अंग्रेजी का व्यवहार कर रही है। इस प्रदूषण को रोकने का एकमात्र उपाय राजभाषा हिंदी का अधिकतम तथा निरत्र उपयोग करना और उसे रोजगार-क्षम भाषा बनाना जरूरी है। लगभग ४ दशकों के संघर्ष के बाद मध्य प्रदेश अभियांत्रिकी तथा आयुर्विज्ञान की शिक्षा हिंदी में देनेवाला पहला राज्य बना। ऐसा करने वाला दूसरा राज्य होने का गौरव छत्तीसगढ़ को मिले इस दिशा में जनमत तैयार कर शासन-प्रशासन को प्रेरित किया जाना जरूरी है। सभी तकनीकी विषयों की उच्च शिक्षा हिंदी में हो इसलिए आवश्यक ग्रंथ हिंदी में लिखे और अनुवादित किए जाना आवश्यक है। गीता जी के नेतृत्व में यह कार्य किया जाना चाहिए।
'हिंदी की आरती' नई पीढ़ी में हिंदी के प्रति गौरव-बोध उत्पन्न करने में सहायक होगी।
हिंदी आरती
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भारती भाषा प्यारी की।
आरती हिन्दी न्यारी की...
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'लोक' की भाषा है हिंदी,
'तंत्र' की आशा है हिंदी।
करोड़ों जिव्हाओं-आसीन
न कोई सकता इसको छीन।
ब्रम्ह की, विष्णु-पुरारी की
आरती हिन्दी न्यारी की।।
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वाक् हिंदी का ध्वनि आधार,
पाँच वर्गों बाँटे उच्चार।
बोलते जो वह लिखते आप-
वर्तनी स्वर-व्यंजन अनुसार।
नागरी लिपि सुविचारी की...
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एकता पर हिंदी बलिहार,
लिंग दो वचन क्रिया व्यापार।
संधियाँ काल शक्ति हैं तीन-
विशेषण हैं हिंदी में चार।
पाँच अव्यय व्यवहारी की
आरती हिंदी न्यारी की।।
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वर्ण हिंदी के अति सोहें,
शब्द मानव मन को मोहें।
काव्य रचना सुडौल सुन्दर
वाक्य लेते सबका मन हर।
छंद-सुमनों की क्यारी की
आरती हिंदी न्यारी की।।
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समेटे ज्ञान-नीति-विज्ञान,
सीख-पढ़-लिख हों हम विद्वान।
विषय जो कठिन जटिल नीरस-
बना देती हिंदी रसवान।
विश्ववाणी गुणकारी की
आरती हिंदी न्यारी की।।
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आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
सभापति
