कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 2 जनवरी 2018

दोहा दुनिया

शिव त्रिनेत्र से देखते,
तीन काल-त्रैलोक.
जो घटता स्वीकारते,
देखें सत्य विलोक.
.
ग्यान-कर्म परिणाम क्या?,
किसका-क्या शुभ-लाभ?
सर्व हितैषी सदा शिव,
श्वेत श्याम नीलाभ.
.
शिव न नगरवासी हुए,
शिव का महल न भव्य.
दिशा दिवालें हो गईं,
नील गगन छत नव्य.
.
शिव संकल्प न छोड़ते,
शिव न भूलते भाव,
हर अभाव स्वीकारना,
शिव का सहज स्वभाव.
.
शिव शंकर पर रीझ मन,
हरि शंकर भज नित्य.
पूज उमा शंकर सलिल-
रवि शंकर सान्निध्य.
.
उमा अरुणिमा सूर्य शिव,
हैं श्रद्धा-विश्वास.
श्वास-श्वास में बस रहे,
बने आस-आवास.
.
शिव सम्पद चाहें नहीं,
शिव को भाता भाव.
मन रम जा शिव-भक्ति में,
भागे भूत-अभाव.
.
2.1.2018

कोई टिप्पणी नहीं: