हिंदी और सिंहली, दोनों ही भाषाएँ इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार से संबंधित हैं। श्रीलंका की मुख्य भाषा सिंहली, इंडो-आर्यन भाषा परिवार का अंग है। सिंहली भाषा सीलोन (श्रीलंका) में राजा अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ अस्तित्व में आई। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में भारतीय बौद्ध धर्म प्रचारक पाली/संस्कृत बोलते थे। उनके प्रारंभिक उपदेशों में पाली, संस्कृत, तमिल तथा अन्य स्थानीय बोलियों का मिश्रण होता था। क्रमश: उन्होंने सिंहली को एक नई भाषा बना दिया। सिंहली व्याकरण, वर्णमाला और ध्वन्यात्मक संरचना तमिल से समानता रखती है। संस्कृत और पाली के प्रभाव के कारण सिंहली भाषा में बा, गा और फा को छोड़कर दोनों भाषाओं में अक्षरों की संख्या लगभग समान है।
हिंदी भारत की एक प्रमुख भाषा है। दोनों भाषाओं की व्याकरणिक संरचना में संस्कृत और पाली के प्रभाव के कारण कुछ समानताएँ हैं। हिंदी में पाली, संस्कृत, अरबी और उत्तर भारत, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र आदि की स्थानीय बोलियों का प्रभाव है। इसका कारण भाषिक क्षेत्रों में वैवाहिक संबंध, श्रमिक आप्रवासी तथा व्यापार-वाणिज्य है। हिंदी और सिंहली में कई ऐसे शब्द समान हैं जिनकी जड़ें संस्कृत और पाली में हैं।
शब्द-भंडार:
सिंहली भाषा में पार्किएर्ट+ तमिल+ बाली+ मिस्री भाषाओं के शब्द अधिक हैं। हिंदी भाषा में अपभ्रंश, संस्कृत, उर्दू , पुर्तगाली, जापानी, अंग्रेजी आदि सहित विश्व की अनेक भाषाओं के शब्द हैं। दोनों भाषाओं में विज्ञान संबंधी विषयों के अध्ययन के लिए अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग क्रमश: बढ़ता जा रहा है। हिंदी-सिंहली तथासिंहली-हिंदी में जीवन के विविध आयामों से संबंधित साहित्य का अनुवाद कार्य किया जाए तो न केवल दो भाषाओं अपितु दो देशों के मध्य संबंध सुदृढ़ होंगे जिससे दोनों देशों में पर्यटन, शिक्षा, साहित्य तथा व्यापार-वाणिज्य को प्रातसहन मिलेगा और आर्थिक समृद्धि का पथ प्रशस्त होगा।
समानताएँ:
हिंदी और सिंहली दोनों भाषाएँ इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार से संबंधित हैं, जो उनकी संरचना और शब्दावली में कुछ समानताएँ लाती है। दोनों भाषाओं पर संस्कृत और पाली भाषाओं का प्रभाव है, जिससे व्याकरण और शब्दावली में कुछ समानताएँ और कुछ भिन्नताएँ होना स्वाभाविक है। .
द्वि रूपता:
हिंदी और सिंहली दोनों में साहित्यिक भाषा और सामान्य जन-जीवन या बाजार में बोली जाने वाली भाषा में अंतर होता है। हिंदी में स्थानीय बोलिओं के प्रभाव इसकी बहुवर्णीय छटाओं (बुंदेली, बृज, अवधी, भोजपुरी, मैथिली, मालवी, निमाड़ी, मारवाड़ी, मेवाड़ी आदि) को जन्म देता है।
बोलचाल की सिंहली साहित्यिक सिंहली से काफी अलग है।
बोलचाल की सिंहली
मैंने किया = मामा / मांग कला।
हमने किया = अपी कला.
आपने (अभद्र, एकवचन) किया = उम्बा काला।
आपने (अभद्र, बहुवचन) किया = उम्बाला कला।
आपने (विनम्र, एकवचन) किया = ओया कला।
आपने (विनम्र, बहुवचन) किया = ओयाला / ओयागोलो काला।
उसने किया = ईया कला.
उसने किया = ईया कला.
उन्होंने किया = इयाला / एगोलो काला।
वर्तमान काल
मैं करता हूँ = मामा / मांग कारणवा।
हम करते हैं = अपि कारणवा।
आप (एकवचन) करते हैं = ओया / उम्बा करणवा।
आप (बहुवचन) करते हैं = ओयाला / उम्बाला करनवा।
वह करता है = एया कारणवा।
वह करती है = एया कारणवा।
वे करते हैं = इयाला / एगोलो करणवा।
भविष्य काल
मैं करूँगा = मामा कारणवा।
मैं कल कार चलाऊंगा = मामा / मांग हेता कार एका ड्राइव करानावा।
ठीक है, मैं कल कार चलाऊंगा = हरि, मामा / मांग हेता कार एका ड्राइव करनांग।
हम करेंगे = अपि कारणवा।
हम कल कार को पेंट करेंगे = अपी हेता कार एका पेंट करनावा।
चलो कल कार को पेंट करते हैं = Api heta Car eka Paint karamu.
आप (एकवचन) करेंगे = ओया कराई।
आप (बहुवचन) करेंगे = ओयाला / ओयागोलो कराई।
वह करेगा = ईया कराई।
वह करेगी = ईया कराई।
वे करेंगे = इयाला / एगोलो कराई।
भूतकाल
साहित्यिक सिंहली
मैंने किया = मामा कलेमी.
हमने किया = अपी कालेमु.
आपने (अशिष्ट, एकवचन) किया = नुम्बा कालेही। (संपादन सुझाएँ)
आपने (अशिष्ट, बहुवचन) किया = नम्बला कालेहु। (संपादन सुझाएँ)
आपने (विनम्र, एकवचन) किया = ओबा कालेही। (संपादन सुझाएँ)
आपने (विनम्र, बहुवचन) किया = ओबाला कालेहु। (संपादन सुझाएँ)
उसने किया = ओहु कालेया.
उसने किया = ईया कलाया.
उन्होंने किया = ओवुन कालोया / कलहा।
ध्वनि:
सिंहली भाषा श्रीलंका में सर्वाधिक नागरिकों द्वारा बोली जानेवाली भाषा है। सिंहल द्वीप की विशेषता है कि उसमें बसनेवाली जाति और उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा दोनों "सिंहल" हैं। अनेक भारतीय भाषाओं की लिपियों की तरह सिंहल भाषा की लिपि भी ब्राह्मी लिपि का ही परिवर्तित विकसित रूप हैं। सिंहल भाषा के दो रूप शुद्ध सिंहल तथा मिश्रित सिंहल हैं। शुद्ध सिंहल में ३२ अक्षर अ, आ, ऍ, ऐ, इ, ई, उ, ऊ, ऒ, ओ, ऎ, ए क, ग ज ट ड ण त द न प ब म य र ल व स ह क्ष तथा अं हैं। सिंहल के प्राचीनतम व्याकरण ग्रन्थ सिदत्संगरा (Sidatsan̆garā (१३०० ए डी)) के अनुसार ऍ तथा ऐ - अ, तथा आ की ही मात्रा वृद्धि वाली मात्राएँ हैं। वर्तमान मिश्रित सिंहल ने अपनी वर्णमाला को न केवल पाली वर्णमाला के अक्षरों से समृद्ध कर लिया है, बल्कि संस्कृत वर्णमाला में भी जो और जितने अक्षर अधिक थे, उन सब को भी अपना लिया है। इस प्रकार वर्तमान मिश्रित सिंहल में अक्षरों की संख्या ५४ है। १८ अक्षर "स्वर" तथा शेष ३६ अक्षर "व्यंजन" हैं।
शब्द क्रम:
हिंदी और सिंहली दोनों में, शब्द क्रम कर्ता-कर्म-क्रिया या विषय-वस्तु-क्रिया (SOV सब्जेक्ट-ऑब्जेक्ट-वर्ब ) होता है, जो जापानी और कोरियाई जैसी कुछ अन्य एशियाई भाषाओं से साम्यता रखता है।
वचन (संख्या भेद):
हिंदी, सिंहली और अंग्रेजी तीनों में वचन दो (एकवचन और बहुवचन) होते हैं। संस्कृत में ३ वचन (एक वचन, द्वि वचन, तथा बहुवचन) होते हैं।
काल:
हिंदी में ३ काल (वर्तमान, भूत और भविष्यत) होते हैं जबकि सिंहली में दो काल (वर्तमान तथा भूत) होते हैं। अंग्रेजी में ३ काल प्रेजेंट, पास्ट और फ्यूचर (Present-Past-Future) होते हैं।
लिंग:
हिंदी और शुद्ध सिंहल दोनों में दो लिंग स्त्रीलिंग और पुल्लिंग होते हैं। संकृत में ३ लिंग स्त्रीलिंग, पुल्लिंग और नपुंसक लिंग हॉटे हैं जबकि अंग्रेजी में ४ लिंग स्त्रीलिंग, पुल्लिंग, उभय लिंग और नपुंसक (फेमिनाइन, मैसक्यूलाइन, कॉमन और न्यूट्रल जेंडर) लिंग होते हैं। हिंदी का लिंगभेद समझना अहिंदीभाषियों के लिए कठिन है किंतु सिंहल भाषा इस दृष्टि से सरल है। वहाँ "अच्छा" शब्द के समानार्थी "होंद" शब्द का प्रयोग "लड़का" तथा "लड़की" दोनों के लिए होता है।
पुरुष:
हिंदी और सिंहल दोनों में तीन पुरुष- प्रथम पुरुष, मध्यम पुरुष तथा उत्तम पुरुष। तीनों पुरुषों में व्यवहृत होने वाले सर्वनामों के आठ कारक हैं, जिनकी अपनी-अपनी विभक्तियाँ हैं। "कर्म" के बाद प्राय: "करण" कारक की गिनती होती है, किंतु सिंहल के आठ कारकों में "कर्म" तथा "करण" के बीच में "कर्तृ" कारक है। "संबोधन" कारक नहीं होने से "कर्तृ" कारक के बावजूद ८ कारक हैं।
क्रिया:
सिंहल व्याकरण अधिकांश बातों में संस्कृत तथा हिंदी के समान है किंतु उसमें संस्कृत की तरह न तो "परस्मैपद" तथा "आत्मनेपद" हैं, न ही लट्, लोट् आदि दस लकार। सिंहल में क्रियाओं के आठ प्रकार कर्ता कारक क्रिया, कर्म कारक क्रिया, प्रयोज्य क्रिया, विधि क्रिया, आशीर्वाद क्रिया, असंभाव्य, पूर्व क्रिया तथा मिश्र क्रिया हैं।
संधि:
शुद्ध सिंहल में संधियों के दस प्रकार हैं। आधुनिक सिंहल में संस्कृत शब्दों की संधि अथवा संधिच्छेद संस्कृत व्याकरणों के नियमों के अनुसार किया जाता है। "एकाक्षर" अथवा "अनेकाक्षरों" के समूह पदों को भी संस्कृत की ही तरह चार भागों में विभक्त किया जाता है - नामय, आख्यात, उपसर्ग तथा निपात। सिंहल में हिंदी की ही तरह दो वचन (एकवचन" तथा "बहुवचन") हैं, संस्कृत की तरह "द्विवचन" नहीं है।
मुहावरे, लोकोक्तियाँ:
प्रत्येक भाषा के मुहावरे उसके अपने होते हैं। दूसरी भाषाओं में उनके ठीक-ठीक पर्याय खोजना व्यर्थ की कसरत है। अनुभव साम्य के कारण दो भिन्न जातियों द्वारा बोली जाने वाली दो भिन्न भाषाओं में एक जैसी मिलती-जुलती कहावतें उपलब्ध हो सकती हैं। सिंहल तथा हिंदी के कुछ मुहावरों तथा कहावतों में एकरूपता होते हुए भी अधिकतर भिन्नता है।
सिंहली मुहावरे
हिंदी अनुवाद |
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इंगुरू दीला मिरिस गत्था वेज | जैसे अदरक की जगह मिर्च लेना । | किसी बुरी चीज़ से छुटकारा पाने के बाद, उससे भी बुरी चीज़ मिलती है। |
रावुलाई केंदई देकामा बेरागन्ना बाए | कोई भी व्यक्ति अपनी मूछों पर दलिया लगे बिना इसे पी नहीं सकता। | ऐसी स्थिति जहाँ दो विकल्प समान रूप से महत्वपूर्ण हों। |
वेराडी गहाता केतुवे | गलत पेड़ पर चोंच मार दी। | कठिन कार्य करने के प्रयास में मुसीबत में पड़ जाना। |
हिसाराधेता कोट्टे मारु काला वेगी | सिर दर्द से छुटकारा पाने के लिए तकिया बदलना। | किसी समस्या का वास्तविक कारण ढूंढकर उसे ठीक करने का प्रयास करना चाहिए। |
गंगाता केपु इनि वेज | जैसे बाड़ के खंभे काटकर उन्हें नदी में फेंक देना। | ऐसे व्यर्थ कार्यों करना जिनसे कोई लाभ या प्रतिफल नहीं मिला है। |
जिया लूला महा एका लू | जो मछली आपके हाथ से बच निकली है वह सबसे बड़ी है। | एक बड़े अवसर के नुकसान का वर्णन करता है। |
गहाता पोत्था वेगी | एक दूसरे के उतने ही करीब जितने पेड़ की छाल तने के करीब होती है। | वास्तव में करीबी दोस्तों/लोगों का वर्णन करता है। |
मिति थेनिन वाथुरा बहिनावा | पानी सबसे निचले बिंदु से नीचे की ओर बहता है। | जब गरीब और निर्दोष लोगों के साथ दूसरों द्वारा बुरा व्यवहार किया जाता है। |
अनुंगे मगुल दाता थमांगे अडारे पेनवन्ना वेगी | जैसे वह व्यक्ति जो किसी दूसरे की शादी में अपना आतिथ्य दिखाता है। | जब कोई व्यक्ति किसी विशेष अनुकूल परिस्थिति का लाभ उठाता है, और उसका श्रेय लेने का प्रयास करता है। |
कटुगाले पिपुनु माला वेगी | उस फूल की तरह जो झाड़ियों के बीच खिलता है। | आमतौर पर यह उस व्यक्ति को संदर्भित करता है जो भ्रष्ट और अनैतिक लोगों से घिरे होने पर भी धर्मी बना रहता है। |
एंजेय इंदन काना कनवालु | सींग पर बैठकर कान से भोजन लेना। | साथ रहते हुए भी चोट पहुँचाना या फायदा उठाना। |
मिते उन कुरुल्ला अरला गाहे उन कुरुल्ला अल्लीमाता गिया वेगी | हाथ में लिए पक्षी को छोड़कर पेड़ पर चढ़े हुए पक्षी को पकड़ने की कोशिश करना। | हाथ में एक पक्षी जंगल में दो पक्षियों से बेहतर है। |
ओरुवा पेरलुना पिटा होंडाई कीवा वेगी | जैसे यह कहना कि नाव पलटने पर नीचे का हिस्सा बेहतर होता है। | जब कोई व्यक्ति बुरी परिस्थिति में भी उजला पक्ष देखने का प्रयास करता है। |
एंजें अतायक गन्नावा वेगी | जैसे किसी के शरीर से हड्डी मांगना। | जब कोई व्यक्ति किसी का उपकार करने में बहुत अनिच्छुक हो। |
अल्लापु अट्ठथ न, पया गहापु अथथथ न | हाथ में पकड़ी शाखा तथा जिस शाखा पर पैर टिके हों, दोनों को खोना। | जब कोई व्यक्ति अधिक पाने की कोशिश करता है और अंत में वह सब खो देता है जो उसके पास पहले से था। |
आनंदी हाथ देनागे केंदा हलिया वागेई | सात अण्डीयों के कुन्जी (दलिया) के बर्तन की तरह। | हर व्यक्ति योगदान देने की बात कहे लेकिन वास्तव में कोई भी योगदान न करे। |
बलालुन लावा कोस अता बावा वेगी | बिल्लियों से भुने हुए जैक बीजों को आग से बाहर निकालने को कहना। | जब किसी व्यक्ति का उपयोग किसी अन्य के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है। |
यकाता बया नाम सोहोने गेवल हदन्ने हेहे | जो लोग शैतान से डरते हैं वे कब्रिस्तान पर घर नहीं बनाएंगे। | यदि आप किसी चीज़ से डरते हैं, तो आप जानबूझकर खुद को उसके दायरे में नहीं रखेंगे। |
सिंहली कहावतें
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पिरुनु काले दिया नोसेले | पानी भरा बर्तन हिलाने पर आवाज नहीं करता। | जिन्हें कम जानकारी है वे बहुत अधिक बोलते हैं, जबकि जिन्हें अच्छी जानकारी है वे चुप रहते हैं। |
उगुराता होरा बेहेथ गन्ना बा | गले को बताए बिना दवा नहीं निगल सकते। | आप अपने आप से सच्चाई नहीं छिपा सकते। |
उदा पन्नोथ बीमा वटेलु | उत्थान के बाद पतन अवश्यंभावी है। | जो चीज ऊपर उठी है , उसे अंततः नीचे गिरना ही होगा। |
उनाहापुलुवेगे पतिया उता मानिकक लू | लोरिस का बच्चा उसके लिए एक रत्न है । | एक व्यक्ति के लिए बेकार चीज़ दूसरे के लिए बहुत मूल्यवान हो सकती है। |
अथथिन अट्ठथा पनीना कुरुल्ला थीमी नासी | जो पक्षी वर्षा से बचने हेतु एक डालसे दूसरी डाल पर कूदता है, ठंड से मर जाता है। | पक्ष बदलना या लगातार किसी समस्या से भागना आपको दीर्घकाल में नुकसान पहुँचाएगा। |
अंदायाता मोना पाहन एलियादा | अंधे आदमी के लिए दीपक किस काम का? | लोगों को ऐसी चीजें न दें जिनका वे उपयोग न कर सकें। |
हदीसियता कोरोस कटेथ अथलंता बारिलु | जल्दबाजी में कोई व्यक्ति अपना हाथ मिट्टी के बर्तन में भी नहीं डाल सकता। | जल्दबाजी और जल्दबाजी में काम करने से आप साधारण चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं। |
काना कोकागे सुदा पेनेने इगिलुनामालु | सारस की सफेदी केवल तभी दिखाई देती है जब वह उड़ता है। | लोगों को किसी चीज़ का मूल्य तभी पता चलता है जब वह चली जाती है। |
गिनिपेनेलेन बटाकापू मिनिहा कानामादिरी एलियाथ बययी लू | जो व्यक्ति आग की लपटों से मारा गया हो, वह जुगनू की रोशनी से भी डरता है। | जब कोई व्यक्ति किसी दर्दनाक अनुभव से गुजरता है, तो वह हर उस चीज से बचने की कोशिश करता है जो उस अनुभव से थोड़ी भी मिलती-जुलती हो। |
जिया हकुराता नादान्ने, थियेना हकुरा राकागन्ने | खोए हुए गुड़ के टुकड़े पर शोक किए बिना बचे हुए गुड़ के टुकड़े को बचाकर रखना । | किसी भी नुकसान की स्थिति में आगे बढ़ना सीखना चाहिए। |
राए वेतुनु वलेह दवल वतेन्ने नै | जो आदमी रात को गड्ढे में गिर गया, वह दिन के उजाले में फिर उसमें नहीं गिरता। | लोगों को अपनी गलतियों से सीखना चाहिए। |
पाला अथि गहे कोई साथथ वाहनवालु | एक फलदार वृक्ष हर प्रकार के जीव को आकर्षित करता है। | सफलता और धन कई लोगों को आकर्षित करते हैं। |
थलेना याकदे दुतुवामा अचारिया उडा पाना पाना थलानावालु | लोहार को लचीला लोहा मिल जाए तो वह अपना हथौड़ा नीचे लाने के लिए खुशी से उछल पड़ता है। | जितना अधिक कोई झुकता है, उतना ही अधिक उसे पीटा जाता है। |
कुछ प्रमुख सिंहल शब्द और उनके हिंदी पर्यायवाची
गिया -- गया यायी -- जायेगा अवे -- आया मम -- मैं ओहु -- वह अय -- वह ओय -- तुम ऊ -- यह ओयाघे -- तुम्हारा धन्यवाद सुदु -- सफेद सीनि -- चीनी हिना वेनवा -- हँसना हितनवा -- सोचना सीय -- सौ सिंहय -- शेर सेप -- स्वास्थ्य सेकय -- संदेह सम -- समान सपत्तुव -- जूता सत्यय -- सत्य सतिय -- सप्ताह मून्न -- चेहरा मिहिरि -- मीठा मिनिसा -- मनुष्य मिट्टि -- छोटा मामा -- मामा माल्लुवा -- मछली मासय -- मास मन -- मन हिम -- बर्फ सिहिनय -- सपना सुलंग -- हवा मल -- गन्दगी मरनवा -- मारना मरन्नय -- मृत्यु अवुरुद्द -- वर्ष सामय -- शान्ति रूपय -- सुन्दरता रोगय -- रोग रोहल -- अस्पताल रुवन -- रत्न रिदी -- चाँदी रेय -- रात रहस -- रहस्य रस्ने -- गरम रस्नय -- गर्मी रिदेनवा -- चोट पहुँचाना रॅय -- रात रहस -- रहस्य रसने -- गरम रसनय -- गरमी रतु -- लाल रजय -- सरकार रज -- राजा रट -- विदेश रट -- देश ओबनवा -- प्रेस ओककोम -- सब एळिय -- प्रकाश एया -- वह एनवा -- आना ऋतुव -- ऋतु ऋण -- ऋण उयनवा -- खाना बनाना ईये -- कल ईलन्गट -- बाद में ईय -- तीर ॲनुम अरिनवा -- जम्हाई लेना ॲत -- दूर इरनवा -- देखा ऍस कण्णडिय -- चश्मा
| ऍन्गिलल -- अंगुलू सेनसुरादा -- शनिवार सिकुरादा -- शुक्रवार ब्रहसपतिनदा -- गुरुवार ब्रदादा -- बुधवार अन्गहरुवादा -- मंगलवार सन्दुदा -- सोमवार इरिदा -- रविवार देसॅमबरय -- दिसम्बर नोवॅमबरय -- नवम्बर ओकतोबरय -- अक्टूबर सॅपतॅमबरय -- सितम्बर अगोसतुव -- अगस्त जूलि -- जुलाई जूनि -- जून मॅयि -- मई अप्रियेल -- अप्रैल मारतुव -- मार्च पेबरवारिय -- फरवरी जनवारिय -- जनवरी चूटि -- छोटा गहनवा -- पीटना गल -- पत्थर गननवा -- लेना गन्ग -- नदी क्रीडव -- खेल कोपि -- कॉफी केटि -- छोटा कुससिय -- रसोईघर कुलिय -- वेतन कुरुलला -- पक्षी किकिळी -- मुर्गी कट -- मुँह कतुर -- कैंची आता -- दादा आच्ची -- दादी सिंहल -- सिंहली गम -- गाँव मिनिहा -- आदमी मिनिससु -- मनुष्य हरिय -- क्षेत्र कोयि -- कौन सा पलात -- प्रान्त दकुण्उ -- दक्षिण उपन गम -- जन्मस्थान नमुत -- लेकिन पदिंcइय -- निवासी कोहे -- कहाँ ने -- ऐसा है या नहीं? आयुबोवन -- Hello नम -- नाम सुब उपनदिनयक -- शुभ जन्मदिन दननवा -- जानना मतकय -- स्मृति मतक वेनवा -- याद करना कोलल -- बालक केलल -- स्त्री लोकु -- लम्बा लससण -- सुन्दर दत -- दाँत दत -- दाँत दिव -- जीभ गसनवा -- beat गॅयुव -- गाया गयनवा -- गाना हदवत -- हृदय कपनवा -- काटना कॅपुव -- काटा कोन्द -- बाल पोड्इ -- तुच्छ रिदेनव -- hurt ककुल -- पाँव ऍस -- आँख कन -- कान
| ऍन्ग -- शरीर कोनन्द -- पीठ बलला -- कुत्ता गिया -- जाना (perfect) इससर -- पहले नपुरु -- निर्दयी पोहोसती -- धनी स्त्री पोहोसता -- धनी पुरुष पोहोसत -- धनी तर -- मजबूत तद -- कठिन नव -- आधुनिक ऍयि -- क्यों कवद -- कौन अद -- आज मगे -- खान ऊरो -- सूअर ऊरु मस -- सूअर का मांस ऊरा -- सूअर उण -- ज्वर गेवल -- घर गेय -- घर वॅड करनवा -- काम करनाकार्य वॅड -- कार्य देवल -- वस्तुएँ देय -- वस्तु देननु -- गायें देन -- गाय अशवयो -- घोड़े अशवय -- घोड़ा कपुटो -- कौवे कपुट -- कौवा दिविया -- चीता बोहोम सतुतियि -- बहुत-बहुत धन्यवाद करुणाकर -- कृपया ओवु -- हाँ एकदाह -- हजार एकसीय -- सौ दहय -- दस नवय -- नौ अट -- आठ हत -- सात हय -- छ: पह -- पाँच हतर -- चार तुन -- तीन देक -- दो इर -- सूर्य वन्दुरा -- बन्दर नॅवत हमुवेमु -- अलविदा सललि -- धन वॅसस -- वर्षा वहिनवा -- बरसना (वर्षा होना) पिहिय -- चाकू हॅनद -- चम्मच लियुम -- पत्र कनतोरुव -- कार्यालय तॅPआआEल -- डाकघर यवननवा -- भेजना पनसल -- मन्दिर आदरय -- प्यार गोविपळअ -- खेत मेसय (न.) -- मेज मेहे -- यहाँ काल -- चौथाई कालय -- समय कल -- समय कोच्चर -- कितना देर ओया -- तुम इननवा -- होना होन्द -- अच्छा इसतुति -- धन्यवाद सनीप -- स्वास्थ्य सॅप -- स्वास्थ्य
| नगरय -- शहर अपिरिसिदु -- गन्दा पिरिसिदु वेनवा -- साफ होना पिरिसिदु करनवा -- साफ पिरिसिदु -- साफ करना यट -- नीचे कलिन -- पहले नरक -- बुरा ळदरुवा -- बच्चा नॅनद -- चाची सतुन -- जानवर सह -- और पिळितुर -- उत्तर अतर -- के बीच में तनिव -- अकेले अवसर दिम -- अनुमति देना सियलल -- सब वातय -- हवा एकन्गयि -- सहमत हुआ कलहख़कर -- आक्रामक वयस -- आयु विरुदडव -- विरुद्ध नॅवत -- पुन: पसुव -- बाद में अहसयानय -- वायुयान वॅड्इहिति -- वयस्क लिपिनय -- पता हरहा -- आर-पार अनतुर -- दुर्घटना पिळिगननवा -- स्वीकार करना पिटरट -- बाहर उड -- उपर करनवा -- काम करना ओळूव -- सिर मललि -- छोटा भाई नंगि -- छोटी बहन अकका -- बड़ी बहन अयया -- बड़ा भाई मेसय -- मेज बत -- उबला चावल हरि -- ठीक है हरि -- बहुत नॅहॅ -- नहीं मोककद -- क्या अममा -- माँ दुवनव -- दौड़ना गेदर -- घर लोकु मीया -- चूहा मीया -- चूहा उड -- के उपर इरिदा -- रविवार एक -- यह एक -- एक एपा -- नहीं दोर -- दरवाजा वहनवा -- बन्द करना पोत -- पुस्तक इकमन -- तेज कनवा -- खाना अत -- भुजा मल -- फूल वतुर -- पानी ले -- रक्त किरि -- दूध अपि -- हम लोग मम -- मै यनवा -- जाना मोकक्द -- क्या कीयद -- कितना कोहेन्द |
भाषिक साम्य
सिंहली और भारतीय भाषाओं में पर्याप्त साम्य है।
हिंदी-सिंहली
मैं आया = मामा आवेमी।
हम आये = अपी आवेमु
तू आया = नुम्बा आवेही।
तुम (बहुवचन) आए = नम्बला आवेहु।
आप (विनम्र, एकवचन) आए = ओबा आवेही।
आप (विनम्र, बहुवचन) आए = ओबाला आवेहु।
वह आया = ओहु आवेया।
वह आई = ईया आवाया।
वे आए = ओवुन आवोया.
मैं करता हूँ = मामा करामी/कर्णनेमि।
हम करते हैं = अपि करामु / करणनेमु।
आप (एकवचन) करते हैं = ओबा/नुम्बा करननेही।
आप (बहुवचन) करते हैं = ओबला / नुम्बाला करण्नेहु।
वह करता है = ओहू करै/करणेय।
वह करती है = ईया करै/करन्नेयया।
वे करते हैं = ओवुन कराथी / करन्नोया।
हिंदी : वचन देना
सिंहली : वचन (याक) दीमा।
बंगाली और सिंहली
बंगाली और सिंहली दोनों ही इंडो-आर्यन भाषाएँ हैं। इसलिए इन दोनों भाषाओं में काफ़ी समानताएँ हैं। कोई इनमें से एक भाषा जानता हो तो वह दूसरी भाषा आसानी से सीख सकता है।
सिंहली
मैंने किया = मामा कलेमी.
हमने किया = अपी कालेमु.
आपने (अभद्र, एकवचन) किया = नुम्बा कलेही।
आपने (अभद्र, बहुवचन) किया = नुम्बाला कलेहु।
आपने (विनम्र, एकवचन) किया = ओबा कालेही।
आपने (विनम्र, बहुवचन) किया = ओबाला कालेहु।
उसने किया = ओहु कालेया.
उसने किया = ईया कलाया.
उन्होंने किया = ओवुन कालोया / कलहा।
बांग्ला
मैंने किया = अमी कोरलाम.
हमने किया = अमरा कोरलाम.
आपने (अशिष्ट, एकवचन) किया = तुई कोर्ली।
आपने (अशिष्ट, बहुवचन) किया = तोरा कोर्ली।
आपने (अभद्र, एकवचन) किया = तुमी कोरले।
आपने (अभद्र, बहुवचन) किया = टॉमरा कोरले।
आपने (विनम्र, एकवचन) किया = अपनी कोरलेन।
आपने (विनम्र, बहुवचन) किया = अपनारा कोरलेन।
उसने / उसने किया = से कोर्लो।
उसने/उसने (विनम्र) किया = टिनी कोरलेन।
उन्होंने किया = तारा कोरलो.
सिंहली
मैं करता हूँ = मामा करामि (/करणनेमि)।
हम करते हैं = अपि करामु (/करणनेमु)।
आप (एकवचन) करते हैं = ओबा/नुम्बा करननेही।
आप (बहुवचन) करते हैं = ओबला / नुम्बाला करण्नेहु।
वह करता है = ओहू करै/करणेय।
वह करती है = ईया करै/करन्नेयया।
वे करते हैं = ओवुन कराथी / करन्नोया।
बांग्ला
मैं करता हूँ = अमी कोरी.
हम करते हैं = अमरा कोरी.
आप (अशिष्ट, एकवचन) करते हैं = तुई कोरिस।
आप (अशिष्ट, बहुवचन) करते हैं = तोरा कोरिस।
आप (अभद्र, एकवचन) करते हैं = तुमी कोरो।
आप (अभद्र, बहुवचन) करते हैं = तोमरा कोरो।
आप (विनम्र, एकवचन) करते हैं = अपनी कोरेन।
आप (विनम्र, बहुवचन) करते हैं = अपनारा कोरेन।
वह / वह करता है = से कोरे.
वह / वह (विनम्र) करता है = टिनी कोरेन।
वे करते हैं = तारा कोरे.
सिंहली
मैं करूँगा = मामा करामी.
हम करेंगे = अपी करमु.
आप (एकवचन) करेंगे = ओबा / नुम्बा करन्नेही।
आप (बहुवचन) करेंगे = ओबाला / नुम्बाला करण्नेहु।
वह करेगा = ओहु कराई।
वह करेगी = ईया कराई।
वे करेंगे = ओवुन कराथी.
बांग्ला
मैं करूँगा = अमी कोरबो.
हम करेंगे = अमरा कोरबो.
आप (अशिष्ट, एकवचन) करेंगे = तुई कोरबी।
आप (अशिष्ट, बहुवचन) करेंगे = तोरा कोरबी।
आप (अभद्र, एकवचन) करेंगे = तुमी कोर्बे।
आप (अशिष्ट, बहुवचन) करेंगे = तोमरा कोर्बे।
आप (विनम्र, एकवचन) करेंगे = अपनी कोरबेन।
आप (विनम्र, बहुवचन) करेंगे = अपनारा कोरबेन।
वह / वह करेगा = से कोर्बे।
वह/वह (विनम्र) करेगा = टिनी कोरबेन।
वे करेंगे = तारा कोर्बे.
बंगाली में 'बा' ध्वनि को सिंहली में 'वा' ध्वनि से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए। सिंहली भाषा में बंगा का उच्चारण वंगा होता है। शारीरिक भाग-
शब्दों की अधिकांश समानताएँ स्पष्ट हैं और किसी विस्तार की आवश्यकता नहीं है। केश - केस, नाक - नासय, अक्षी - अस, मुख - मुकाय, जीव - दिवा, दथ - दथ, रिदोई - हरदय, हाथ - हाथ - अथ, अंगुल - अंगिली, लप - कुले - उकुले, पद - पाड़ा, लिंग - लिंग, देवियों - नारी - नारी, छोटा आदमी - बेटी मानुष - बेटी मिनिसा, लंबा आदमी - लोम्बा - लम्बायक जितना लंबा। इसके अलावा रक्थो का अर्थ लाल होता है और इसका तात्पर्य रक्त से है।
फल-
आम - आंब - अंबा, बेल फल - बेल - बेली, अमरूद - पेरा - पेरा, गन्ना - आक - उक, अनानास - अन्नास - अन्नासी, केला - कोला - केसेल। यहां बंगाली व्यंजनों में से दो तीन सिंहली व्यंजनों के बीच दिखाई देते हैं और लेखक को छिपी हुई समानता का एहसास करने में कई साल लग गए क्योंकि कोला ध्वनि आपको पत्तियों या हरे रंग की ओर ले जाती है। स्टार फल - कबरंका - काबरंका। यह संयोग से था, जब मैंने कोलकाता में एक फुटपाथ विक्रेता को 'कबरंका, कबरंका' कहते सुना। इस गैर-व्यावसायिक, कुछ हद तक दुर्लभ फल को सिंहली शब्द से पुकारा जाना एक बड़ा आश्चर्य था।
खाद्य पदार्थ-
चावल - भात - स्नान, खाना - कबेन - कन्ना, पानी - झोल - जलाया, लाल मिर्च - मोरिच - मिरिस, रोटी - रोटी, गिंगिली बॉल्स - थिला गुली - थाला गुली, कड़वा - थेथो - थिट्ठा, शराब - शरा - रा, आलू - आलू - आलु।
स्थानों के नाम-
निम्नलिखित स्थानों के नाम महानगर कोलकाता से हैं। रत्नों का मैदान - मानिकतला - मानिक थलावा, धर्म का मैदान - धर्मतला - धर्मतालवा, साल्ट लेक - नून पोकुर - लुनु पोकुना, नेशन लवर्स पार्क - देशप्रियो पार्क - देशप्रिया पार्क आदि।
कैलेंडर/समय-
चार ऋतुओं को ग्रिशमो-ग्रीष्मा, शोरोट-सारथ, शीथ-शीथा और बोसोन्टो-वसंथा कहा जाता है। सप्ताह के अंत में दिनों के बंगाली नाम 'बार' में होते हैं। ध्वनि 'बा' को सिंहली समकक्ष के लिए 'वा' से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए ताकि 'बार' 'वर' या 'वरया' या 'टर्न' हो। सोमवार से शुरू होने वाले दिनों के नाम हैं - रोबिबर - रविगेवरया, सोंबर, मोंगलबार - मंगलावरया, बुधबार - बदादा, बृहस्पतिबर - ब्रहस्पतिंडा, शुक्रोबर - सिकुराडा और शोनिबार - सेनासुरधा। नामों की ये दोनों सूची कुछ ग्रहों को संदर्भित करती हैं। एएम, पीएम - शोकले, विकले। रात्रि - रात्रि - रात्रि, शुभ रात्रि - शुबा रात्रि - सुबा रात्रिक।
तमिल और सिंहल
तमिल और सिंहल दोनों में, वाक्यांश संरचना ज़्यादातर मामलों में काफी समान होती है। उदाहरण के लिए, "मैं भूखा हूँ" को "सिंहल" में "माता बदागिनी" और "तमिल" में "एनक्कु पासिक्कुथु" कहा जा सकता है। यहाँ "माता" का अर्थ "एनक्कु" और "बदागिनी" का अर्थ "पसिक्कुथु" है। कोई शिक्षक या दोस्त जब जवाब चाहता है, तो वह कहता है "कियान्ना बलन्ना", जिसका अनुवाद "सोली परपोम" है।"कियाला देनावादा" - "सोल्ली थरवा"।
उड़िया और सिंहल
मैंने किया = म्यू करिली.
हमने किया = अमे करिलु.
आपने (अशिष्ट, एकवचन) किया = तू करिलु।
तुमने (अशिष्ट, एकवचन) किया = तुमे करीला।
आपने (अशिष्ट, बहुवचन) किया = तुमेमेन करीला। (संपादन सुझाएँ)
आपने (Polite) किया = अपोनो करिले. (संपादन सुझाएँ)
उसने / उसने किया = से करीला।
उसने / उसने (विनम्र) किया = से करिले।
उन्होंने किया = सेमेन कारिले.
सिंहली
मैं करता हूँ = मामा करामि (/करणनेमि)।
हम करते हैं = अपि करामु (/करणनेमु)।
आप (एकवचन) करते हैं = ओबा/नुम्बा करननेही।
आप (बहुवचन) करते हैं = ओबला / नुम्बाला करण्नेहु।
वह करता है = ओहू करै/करणेय।
वह करती है = ईया करै/करन्नेयया।
वे करते हैं = ओवुन कराथी / करन्नोया।
उड़िया
मैं करता हूँ = मु करे.
हम करते हैं = अमे कारू।
आप (अशिष्ट, एकवचन) करते हैं = तू करु।
तुम (अशिष्ट, एकवचन) करते हो = तुमे कारा।
आप (अशिष्ट, बहुवचन) करते हैं = तुममेमने कारा।
आप (विनम्र, एकवचन) करते हैं = अपोनो कारंती।
वह / वह करता है = से करे।
वह/वह (विनम्र) करता है = से कारंति।
वे करते हैं = सेमने कारंती।
अन्य साम्यताएँ
भारत और लंका में व्यक्तियों के नाम प्रसन्ना, महेंद्र, आदि एक जैसे हैं। सिंहली नाम "विजयरत्न" तमिल में "विजयरत्नम" हो जाता है। सिंहली लोग "भगवान कटारागामा" की पूजा करते हैं । भगवान कटारागामा को "भगवान कंठस्वामी" के नाम से जाना जाता है, जो शिव के पुत्र हैं। सिंहली और तमिल दोनों ही उनके अनुयायी हैं। बौद्ध सिंहली कोविल भी जाते हैं।
सिंहली भाषा में वाक्यांशों को “कर्ता-क्रिया-कर्ता” (अंग्रेजी में शब्द क्रम सख्त है) प्रारूप का पालन करना आवश्यक नहीं है।अंग्रेजी में, यदि आप कहते हैं “लड़के ने लड़की का पीछा किया”, और यदि आप एसवीओ से शब्दों के क्रम को पलट देते हैं, और इसे “लड़की ने लड़के का पीछा किया” लिखते हैं, तो विचार अलग होगा। सिंहल में SVO क्रम लचीला है। उदाहरण के लिए, "मामा अय्याता गहुवा (मैं, भाई को, मारो)" को "अय्याता, मामा, गहुवा" (भाई को, मैं, मारो) भी कहा जा सकता है।
सिहली और तमिल संस्कृतियाँ मिलती-जुलती हैं। सिंहली महिलाएँ हल्के रंग की साड़ियाँ पहनती हैं, और तमिल महिलाएँ चटकीले और गहरे रंग की साड़ियाँ पहनती हैं। सिंहली और तमिल दोनों ही रूढ़िवादी हैंऔर उन्हें अपनी भाषा और इतिहास पर बहुत गर्व है। सिंहली और तमिल लोग एक जैसे दिखते हैं।
सार यह कि दक्षिण भारतीयों और सिंहलियों में कई समानताएँ और असमानताएँ हैं तथापि इस समूचे भूखंड के निवासियों की सभ्यता, संस्कृति, इतिहास, धर्म, भाषाएँ, परंपराएँ और भाग्य साझा हैं। आधुनिक विश्व के फलक पर भारत और लंका का भविष्य भी एक समान रहना संभावित है। विश्व की महाशक्तियाँ भारत और अलंका को अलग-अलग करने के कितने भी प्रयास कर लें, सफल नहीं हो सकेंगे। श्री लंका और भारत की सरकारें और राजनेता पारस्परिक हितों का संरक्षण करते हुए साझा उज्जवल भविष्य का निर्माण करने की दिशा में सक्रिय हैं। भारत और श्रीलंका के साहित्यकारों का दायित्व है कि वे समय की पुकार को सुनकर एक दूसरे के साथ मिलकर सारस्वत अनुष्ठानों को साकार करें और साझा साहित्य का सृजन करें।
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संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन। जबलपुर ४८२००१, वाट्स ऐप ९४२५१८३२४४