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गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

दोहा कार्यशाला

11-- दोहे मोती फिर-फिर पोइये, जब-जब टूटे हार । तोड़न से जोड़न बड़ा, महिमा सृजन अपार ।। तोड़न, जोड़न अशुद्ध
तोड़ें मत जोड़ें सदा, पाएं सुयश अपार
* घिर अंधेरा आए तो, अंतस दीप जलाय। मिल झरोखा जायेगा, मन में आस जगाय।। लय दोष, दोनों पंक्तियों के कथ्य में तालमेल कम है.
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पीर इंतिहा तक जाए, सोच बनी जंजीर।
औरन से मिलता रहे, खुद क्यों पीर अधीर।। पीर इंतिहा हो अगर, सोच बने जंजीर
करे परीक्षा धैर्य की, हो क्यों पीर अधीर?
* ठहरकर जरा तो देखिए, अपने चारों ओर। मिली नियामत विचारिए, चमत्कार चहुँओर।। जरा ठहरकर देखिए, अपने चारों ओर
मिली नियामत अनगिनत, बिखरी है चहुँ ओर
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सागर बादल बारिशें, काँकर पाथर घास। बना मीत मन गुजारिए,न रहिए बैठ उदास।।
सागर बादल बारिशें, काँकर पाथर घास बना मीत हँस-बोलिए,रहें न बैठ उदास * शिव गौरी आराधना,अन्तर्मन कर लीन। भवसागर की ताड़ना, पार बिना गमगीन ।।
शिव गौरी आराधना, कर अन्तर्मन लीन भवसागर को पारकर, हुए बिना गमगीन * नारी मनभावन लगे, बिना हुवे गम्भीर । जो दिया सम्मान नहीं, व्यर्थ हुई तदबीर।।
अर्थ अस्पष्ट
नारी मनभावन लगे, अगर धीर गम्भीर मिला नहीं सम्मान यदि, व्यर्थ हुई तदबीर * काम धरम सा होत है, पूजन की तासीर। पावन नीयत राखिये, कमतर होगी पीर।। अर्थ अस्पष्ट
* ऐसा काम न कीजिये, पछताना अंजाम। पहले ही गुन लीजिये, हो सकार परिणाम।।
ऐसा काम न कीजिये, पछताना अंजाम पहले गुन लें हो तभी, मनमाफिक परिणाम * भरोसा बड़ा विचारिए, तब कीजै अविराम। भीतर किसके क्या पले, बाहर शहद तमाम।।
करें भरोसा बाद में, पहले सोच-विचार किसके भीतर क्या पले, जानें भली प्रकार * उबरन नामुमकिन नहीं, चाहे जो अंधेर। कोशिश तो कर देखिए, मिटै तमस का घेर।।
उबरन नामुमकिन नहीं, चाहे जो अंधेर। कोशिश तो कर देखिए, मिटै तमस का घेर।।
कुछ भी नामुमकिन नहीं, अमर नहीं अंधेर नित कोशिश कर देखिए, मिटे तमस का घेर।। @सुनीता सिंह (14-13-2017)
टीप- एक विचार पर ४-५ बार भन्न-भिन्न तरह से दोहा कहें, श्रेष्ठ को रखें
लय गुनगुनाते हुए लिखें, कहीं अटकन न हो .

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